दो कमसिन लड़कियां, पांच वर्दी वाले-2

मेरी इस हिंदी एडल्ट स्टोरी के पहले भाग दो कमसिन लड़कियां, पांच वर्दी वाले-1 में आपने पढ़ा कि कैसे कामुकता वश हम दो सहेलियाँ अपनी चूत की आग बुझवाने के लिए सर्दी भरी रात में कार लेकर निकली. हमने शराब पी रखी थी और हमें पुलिस ने रोक लिया. अब आगे:

इधर सिराज मुझे बेतहाशा रौंद रहा था. पता नहीं क्या खा कर आया था कि छूटने का नाम नहीं ले रहा था. कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरी चुत से निकाला और बिना कुछ कहे मुझे घुटने पे होने का इशारा किया। मैं भी तुरंत घुटनों पे हो गयी, उसने अपनी तीन उंगलियाँ सीधी मेरे चुत में घुसेड़ी और मेरी गीली चुत का मर्दन करने लगा. मेरे मुँह से सिसकारियां छूटने लगी. कुछ देर उसने अपनी उंगलियों से मेरी चुदाई की तो मेरा संयम ख़त्म हुआ और मैं भरभरा कर झड़ गयी. बस तभी सिराज ने वो सारा पानी हाथ में लेकर अपना हाथ मेरे गांड के छेद में डालना शुरू किया। आगे आने वाले संकट को लेकर मैं सचेत हो गयी.

इधर सिराज के दोस्त ने अपना लंड फिर से मेरे मुँह में ठूस दिया और वो चालू हुआ. इधर सिराज मेरे गांड को मालिश कर रहा था अब उसकी तीनों उंगलियाँ मेरे पिछवाड़े में भूकंप मचा रही थी. लंड चूसते हुए मैंने देखा, रिया ने अब एक जगह बैठ कर शराब की बोतल अपनी मुँह से लगाई हुई थी और वो तीनों उसके बदन को नोच रहे थे. तभी सिराज का लंड मेरे पिछवाड़े पे दस्तक देने लगा. मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया और जैसे मक्खन में छुरी घुसती है, वैसे उसका लंड मेरी गांड में जड़ तक दाखिल हुआ. मुंह में एक लंड होने के बावजूद मेरी हल्की चीख निकल गयी. मेरे चूतड़ों पे करारी थाप मार कर सिराज बोला- साली तू तो एक नंबर की रंडी है यार… सब जगह से खुली हुई है. और उसने अपने दोस्त से कहा- चल, नीचे आ जा और घुसा लौड़ा इसकी चुत में! दोनों भाई मिलकर बजाते है इस रांड को!

अँधा क्या मांगे एक आँख… वो जल्दी से मेरे नीचे घुस गया और सिराज ने मुझे नीचे दबा दिया, सरसराता हुआ नीचे वाले का लंड मेरे अंदर घुस गया. दो लंडो की फीलिंग ने मेरे मुँह से मस्त चीख निकल गयी. मगर उसे सुनने वाला इन पाँचों के सिवा कोई नहीं था. दोनों ने नए दम से मुझे ठोकना चालू किया। दो ही मिनट में मेरी सारी हड्डियाँ चूं बोल गयी. मगर कम्बख्त दोनों इतना शिद्दत से मुझे ठोक रहे थे कि पूछो मत! कुछ ही समय में मेरे सामने एक और लंड आ खड़ा हुआ. मैंने बिना कुछ बोले मुँह खोला तो वो भी सीधा मुँह में दाखिल हुआ. बाकी लोग भी हमारे इर्दगिर्द खड़े हो गए.

सिराज ने पूछा- क्या हुआ? लगे रहो उसके साथ! तो एक ने कहा- जनाब उसको तो दारु ज्यादा हो गई है, अब वो लुढ़क गयी घंटे तक! हमारा तो एक ही बार हुआ था, अभी मन भी नहीं भरा.

सिराज कस कस के मेरी गांड मारते हुए हंस कर बोला- कोई नहीं! ये रांड है ना! इसे बजाएंगे सब मिलकर सुबह तक! यह सुन कर मेरे तो सारे पुर्जे पुर्जे ढीले हो गए. मगर एक दिल तो ये भी कह रहा था- पांच जने चोदने वाले है तो जिंदगी बन गयी यार! अपने आप मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी.

मैंने अपने मुँह में जो लंड था वो हटाया। मेरे दिल में जो भी था वो मेरे मुँह से निकलने लगा- अहाहा हहाहय ऊऊहयहा… मेरी जान… और ज़ोर से चोदो मुझे… और ज़ोर से… फक मी… फक मी! सीईई सीईईई आअह्ह ह्हह… आहहह आःह्ह आःह्ह आह्ह आह्ह सिराज बाहर निकालो इसे, प्लीज इसे बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है, आह्हज आईईई आह्ह उह्ह आह्ह, प्लीज। आअह्ह्ह आःह्ह्ह आह्ह आआह आअह्ह आःह्ह आह्ह्ह अहह ऊओह्ह ऊओह उम्मन आह्ह आअह्ह आअह्ह प्लीज धीरे चोदो, बहुत दर्द हो रहा है, आह्ह्ह अहह आअह… आज मैं तुम सबके साथ चुदवाऊँगी। जोर से बजा मेरी चुत भोसड़ी के, मर्द नहीं है क्या? आह्ह्ह आह्ह्ह बहनचोद सिराज, चोद तेरी रखैल को। फाड़ दे आज मेरी गांड! सीईई सीईईई आअह्ह ह्हह…

तभी जो मेरे नीचे मेरी चुत चोद रहा था उसने एक किलकारी मार कर अपना पानी मेरे अंदर उड़ेल दिया। मेरे बदन ने कई अंगड़ाइयां ली. तभी सिराज के धक्के तेज हो गए और एक ही मिनट में उसने अपना सारा पानी मेरी गांड में भर दिया। सिराज की कम से काम दस पिचकारी मैंने अपने अंदर महंसूस की. जैसे उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाला, मैं अपने आप जमीन पे लुढ़क गयी. कुछ देर सांस लेने के बाद मैंने आँख खोली तो उन पाँचों को अपनी तरफ ही देखता पाया।

मैं जैसे तैसे उठ कर बैठी, सबसे पहले मैंने अपने बूट निकाल कर फेंक दिये, बगल में पड़ी बोतल उठा कर तीन चार तगड़े घूंट भरे, शराब गले से लेकर पेट टेक सब कुछ जलती हुई अंदर गयी. मैंने बगल में पड़ी किसी की सिगरेट उठा कर जलाई और सिराज की तरफ धुआँ छोड़ते हुए कहा- सिराज, तगड़ा ठोकते हो यार! कितने दिन का जोश जमा करके रखा था? सिराज ने हंस कर कहा- तेरा भी स्टैमिना जबरदस्त है छोकरी। एक साथ तीन को झेल गयी तू तो! सब हंस पड़े.

मैंने सिगरेट बुझाई और पूछा- अब कौन आएगा? इतना पूछते ही वो तीनों जिन्होंने रिया को चोदा था, वो लपक कर मेरे पास आये. उनके लंड हाथ में लेते हुए मैंने सिराज से कहा- मेरी दोस्त को देखना। कुछ नहीं होना चाहिए उसको। उसको मेरी कार में सुला देना प्लीज! आगे मैं बोल ही नहीं पायी।

किसी का मुँह मेरे मुँह पे चिपक गया था. मुझे घेर कर वो लोग मुझे खेतों के बीच ले गए. मैंने जमीं पर बैठ कर उनके बारी बारी से लंड चूसना चालू किया। रिया के नशे में लुढ़क जाने के बाद काफी देर बाद उन्हें मैं हासिल हुई थी तो सब जोश में थे. कुछ देर अपने अपने लंड चुसवाने के बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया एक लड़के ने झुक कर मुझे हवा में उठा लिया। मैंने भी उसकी कमर पे अपनी टाँगें लपेट ली और अपने ही हाथ से उसका लंड अपनी चुत में घुसा लिया। उसने मुझे उछाल उछाल कर चोदना शुरू किया.

तभी एक ने हमें रोक कर पीछे से मेरी गांड में अपना लम्बा लंड गाड़ दिया। अब दोनों हुमच हुमच कर मुझे चोद रहे थे. आगे वाला मेरे निप्पल को काट खा रहा था तो पीछे वाला मेरी पीठ पे अपने दांत गाड़ रहा था. करीब दस मिनट के बाद दोनों ने एक साथ अपना पानी मेरे अंदर छोड़ दिया। हांफते हांफते उन्होंने जैसे मुझे नीचे उतारा तो बचे हुए तीसरे ने मुझे सीधा जमीं पे गिराया और सीधा अपना हथियार मेरी चूत में घुसा कर चोदना शुरू किया। नंगी जमीं पे वो बड़े जोरों से मुझे चोद रहा था. उस वजह से मेरी पीठ उस नंगी जमीं से रगड़ खाकर छिल गयी मगर जिस तरीके से वो मुझे चोद रहा था इस तरह का छीलना मेरे लिए मायने नहीं रखता था. सही मायने में वो मुझे रौंद रहा था और मैं असली रौंदने का अनुभव ले रही थी.

अब तक नरम गद्दों पे की हुई चुदाई से ये देसी चुदाई मुझे भा गयी. मैंने भी अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेटी और चूतड़ उठा उठा कर उसके हर धक्के का जवाब देने लगी. मेरी गर्मी के आगे वो टिक नहीं पाया और उसने मेरी चुत अपने पानी से भर दी. मगर मेरी चुत अभी शांत नहीं हुई थी. मैंने आँख खोल कर देखा तो पहले दोनों मुझे ही देखते हुए अपना लंड हिला रहे थे. मैंने उनको उकसाते हुए कहा- देख क्या रहे हो सालो? आ जाओ और चोदो मुझे दोनों साइड से! और लंड है तो ले आओ… आज सब के सब ले लूंगी!

तुरंत एक बंदा नीचे लेटा और उसने मुझे अपने ऊपर खींच कर अपना लंड मेरी चुत में घुसा दिया और दूसरे ने पीछे से अपना लंड मेरी गांड में ठोक दिया। मेरे मुँह से किलकारी निकल गयी. दोनों ने पूरी ताकत के साथ मुझे चोदना जारी रखा.

थोड़ी देर में सिराज हमें ढूंढता हुआ वहीं आ गया जहां खेतों के बीच मेरी ठुकाई हो रही थी. मैंने देखा कि उसके हाथों में दो बियर की बोतल थी. उसने एक बोतल मेरे गाल को लगाई। चिल्ड बियर का ठंडापन मेरी हड्डियों में फ़ैल गया. मैंने उसे बियर साइड में रखने को कहा और उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में डाला।

एक साथ तीन लंडों से चुदते हुए मैं कुछ अलग सी फीलिंग पा रही थी. सिराज ने मेरे बालों को जकड़ा और मेरे मुँह को मेरी चुत समझ कर वो उसे चोदने लगा. मुझे चोदने वाले दोनों थोड़ी ही देर पहले मेरे अंदर अपना पानी गिरा चुके थे तो जाहिर था कि वो अब की बार जल्दी नहीं छूटने वाले थे.

तभी सिराज ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर खींचा, मैं तड़प उठी, ऐसे लगा कि मेरा मनपसंद खिलौना मेरे हाथ से निकल गया. मैंने सिराज से मिन्नतें की मगर वो मेरे पास नहीं आया. मैंने कहा कि मैं एक बार और उसके लंड से चुदना चाहती हूँ तो सिराज ने कहा- ये चुदाई होने के बाद अपने पैरों पे चल कर तू मेरे पास आ जा. फिर तुझे मैं ऐसा चोदूँगा कि तू जिंदगी भर भूलेगी नहीं। इतना बोल कर वो चला गया.

अब मैंने अपने दोनों छेदों में अंदर बाहर होने वाले लंडों का मजा लेना चालू किया, उनको गाली दे दे कर उकसाना चालू किया। फिर एक बार रूक कर दोनों ने पोजीशन बदल ली. मतलब जो मेरी गांड बजा रहा था, वो अब चुत चोद रहा था और जो चुत मार रहा था, वो अब मेरी गांड ठोक रहा था. मेरी सिसकारियां, आहें, चीखें रुकने का नाम नहीं ले रही थी और वो दोनों रुकने का नाम नहीं ले रहे थे! अधिक आनन्द की वजह से अब मेरी आँखें बंद होने लगी. दोनों के बीच सैंडविच बन कर मुझे मजा आ रहा था. किसी सड़क छाप बाजारू रंडी की तरह चुदवाने का पूरा पूरा आनद मिल रहा था मुझे।

कुछ ही देर में मेरे नीचे वाले के धक्के तेज हो गए, उसने फटाक से मेरा एक निप्पल अपनी दांतों में पकड़ा और वहशी बन कर चूसने लगा. उसके दांतों का अहसास होते ही मेरी चीखें बढ़ गयी. मैं दोनों के बीच में तड़पने लगी. दोनों ने अपनी गति बढ़ाई और कुछ ही देर में एक के बाद एक ने अपना उबलता लावा मेरे अंदर उड़ेल दिया।

मैंने खुद को दोनों से अलग किया और वहीं जमीन पर गिर कर मैं अपनी उखड़ी हुई साँसें संयत करने लगी. उनमें से एक ने मेरे ऊपर आकर कस कर मेरे होंठ चूमे और कहा- तूफानी लड़की हो. पिछले तीन चार घंटे से चुद रही हो और अभी तक तुम्हारा दिल नहीं भरा? मेरे मुँह पर कमीनी सी हंसी छा गयी, उसको पलट कर चूम कर मैंने कहा- आज तो घर से बाहर ही निकली थी ये सोच कर कि तुम जैसे मुस्टंडे मिल जायें! और तुम लोग मिल गए तो चार चाँद लग गए!

फिर उन दोनों ने मुझे सहारा देकर उठाया और एक साथ चूतड़ों पे कस कर तमाचा मारते हुए कहा- अब जा, सिराज राह देख रहा होगा तेरी। मगर याद रखियो, खुद के पैरों पे चलकर जईओ, नहीं तो बुरा खदेड़ेगा तुझे दरोगा! जैसे तैसे मैंने चलना शुरू किया। एक तो मैं अल्फ नंगी थी और ठण्ड के मारे बुरा हाल था, ऊपर से चुत और गांड का बाजा बज चुका था. उस ऊबड़-खाबड़ जमीन पे नंगे पैर चलना मेरी जैसी आराम से पली बढ़ी लड़की के लिए आसान ना था. मगर सिराज के चोदने के स्टाइल की मैं इतनी दीवानी हो गयी थी कि जैसे तैसे पैर घसीटते हुए कुछ देर बाद मैं उसके पास पहुँच ही गयी.

जैसे ही मैं पहुंची तो उसके चहरे पे शातिर मुस्कान आ गयी, मेरी कमर को पकड़ कर उसने मुझे सीधा मेरी कार के बोनेट पे बैठ दिया। जैसे ही मेरा पिछवाड़ा बोनेट से टकराया मेरे होटों से हल्की चीख निकल गयी. गजब का ठंडा पड़ गया था बोनेट और इन सबने जो मेरे चूतड़ों का अब तक तबला बनाया था वो चोट खाया हिस्सा उसकी वजह से दर्द कर गया. मैंने तुरंत नीचे उतरना चाहा मगर सिराज ने मुझे रोक दिया, मेरे बदन पे हाथ फेर कर उसने कहा- बहुत गंदी हो गयी है तू छोरी। रुक तुझे साफ़ करते हैं.

इतना कह कर उसने पास रखी बियर की बोतल उठाई, दांतों से ही उसका ढक्कन खोला और अंगूठे से बोतल बंद करके जोर से हिला कर उसका फव्वारा सीधा मेरे बदन पे चला दिया। ये सब इतनी जल्दी हो गया कि मेरे समझने से पहले ही बियर की पहली धार मेरे बदन से टकराई और उसके ठन्डेपन से मेरी रीड की हड्डी तक को जमा दिया। मेरे मुँह से न चाहते हुए भी लम्बी चीख निकल गयी. खुद को बचाने के लिए मैं जैसे ही बोनेट पे लेट सी गयी तो मेरी टाँगें पकड़ कर उसने वो जबरदस्त स्प्रे मेरी चुत की ओर कर दिया। ठंडी बियर जैसे ही मेरी चुत से टकराई तो मैं तड़प उठी, मचलने लगी. मगर सिराज ने मेरी टांग कस के पकड़ी हुई थी. ठंडी ठंडी बियर की वजह से मेरी चुत जैसे बेजान सी हो गयी.

बियर ख़त्म होते ही सिराज ने बोतल फेंक दी और बिना किसी वार्निंग मेरे दोनों पैरों के बीच आकर अपना मूसल मेरी चुत में जड़ तक घुसा दिया। और अगले ही पल वो तेज रफ़्तार रेल के माफ़िक़ मेरे अंदर बाहर होने लगा. मैंने अपनी आँखें मूंद ली और खुद को पूरा का पूरा उसके हवाले कर दिया। सिराज नाप तोल कर धक्के लगा रहा था. शायद अबकी बार उसे कोई जल्दी नहीं थी. पूरा का पूरा लंड अंदर बाहर खींच कर वो बड़ी ताकत के साथ मुझे चोद रहा था.

उसके जालिम धक्कों की वजह से मेरे मम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे जिन्हें रोकने के लिए मुझे अपने ही हाथ में उनको पकड़ना पड़ा. तभी सिराज का एक हाथ धीरे धीरे ऊपर आते हुए मेरे गले तक पहुँच गया. दो पल तक तो उसने बड़े प्यार से मेरे गले पे हाथ फेरा और यकायक उसने मेरा गाला कस के पकड़ कर तेज तेज चोदना चालू किया। जैसे उसके धक्के तेज होते गए वैसे मेरी सांस घुटती गयी, मुखड़ा लाल होने लगा. मैं बुरी तरह छटपटाने लगी मगर सिराज के हाथ का फंदा ढीला नहीं हुआ. हर एक करारे धक्के की साथ वो कहता गया- बड़ी कुत्ती चीज है तू छोरी। एक नंबर की रांड है तू. आज इतने लौड़े लिए अंदर मगर अभी भी खुजली नहीं गयी तेरी? मेरा लौड़ा चाहिए न तन्ने लौंडिया- तो ये ले, ये और ले… और ले अंदर मेरा लौड़ा कुतिया! कहते कहते उसने मेरा गला छोड़ा और कमर पकड़ कर ऐसे चोदने लगा कि ये उसकी जिंदगी की आखरी चुदाई हो.

इधर मेरी हालत पतली हो चुकी थी. सिराज के धक्के इतने तेज हो रहे थे कि मुझे कई बार लगा कि उसका लंड मेरी चुत से घुस कर मेरा पेट फाड़ कर ही बाहर निकलेगा। तभी सिराज ने किसी से कहा- अबे, इस लौंडिया के जूते पहना दो रे. उन जूतों में बहुत गांड फाड़ लगती है छोरी। तुरंत ही किसी ने मेरे घुटने तक पहनने वाले बूट एक एक करके पहना दिए. जब वो मुझे बूट पहना रहा था तो ना सिराज ने चोदना रोका ना उसके चोदने की रफ़्तार काम हुई.

अब तक मैंने अपने आप पे बहुत कंट्रोल किया था मगर यह फुल स्पीड चुदाई की वजह से मेरी अब चीखें निकलने लगी. मैंने अपनी ताकट बटोर कर खुद को थोड़ासा ऊपर उठाया, उठ कर सिराज की मजबूत बांहों का सहारा लेकर उसकी गर्दन के ऊपर अपने हाथों की माला बना कर सहारा लिया और सीधे अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिए. होटों से होंठ छूते ही सिराज के धक्के और गहरे हो गए. मेरे मुख से अब फिर आवाजें निकलने लगी- सीईई सीईईई आअह्ह ह्हह… आहहह आःह्ह्ह आःह्ह्ह आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह मेरी जान और चोदो मुझे… ज़ोर से… और ज़ोर से… फाड़ दे आज मेरी चूत… कसम से मजा आ गया रे मेरे चोदू… मेरे जानू… गुलाम बन गयी रे तेरी मैं तो! आअह्ह आह म्मम सी सिसिस… कसके चोदता जा … लव यू सिराज…

तब तक जो मुझे बूट पहना रहा था उसका काम हो चुका था, जैसे सिराज ने मेरे पैर में बूट देखे तो उसके अपना लंड बाहर निकाला। मुझे बोनेट से उतारा और घुमाकर मुझे बोनेट पे झुका दिया। मेरे बूट की वजह से मेरी गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर आई थी, सिराज ने मुझे और झुकाया, मेरे मम्मे और पेट अब बोनट को छूने लगे थे और गांड कुछ ज्यादा ही बाहर आयी थी. सिराज ने अपने लंड से एक दो बार मेरे गांड के छेद को सहलाया और धीरे धीरे अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया।

मैंने खुद को फिर से एक बार ढीला छोड़ दिया। आनन्द से मेरी आँखें बंद होने लगी और शायद कुछ सेकण्ड के लिए मैं नींद के आगोश में भी चली गयी, मगर तभी सिराज ने कस के मेरे चूतड़ पे तमाचा मारा तो मैं हड़बड़ा कर जग गयी. इधर सिराज पूरी शिद्दत से मेरी गांड मार रहा था. मेरी ज़बरदस्त गांड चुदाई हो रही थी.

अब उसके हाथ मेरे पूरे बदन को नोच रहे थे, मेरे मम्मों का कचुम्बर बना रहे थे. बीच में ही वो रुका और मेरा एक पैर उठा कर उसने बोनेट पे रखवाया। ऐसा करने से उसे और ज्यादा जगह मिल गयी और उसका चोदने की स्पीड बढ़ गई. मैं अब कुछ भी महसूस करने की मर्यादा लाँघ चुकी थी, ठण्ड से मेरा बुरा हाल था, जिस दारु से बदन में गर्मी हो रही थी, वो भी उतर गयी थी. इधर सिराज के धक्के कम गहरे और छोटे हुए और कुछ ही सेकंड में उसने अपना पूरा पानी मेरी गांड में छोड़ दिया।

जैसे उसने मुझे छोड़ा तो मैं अपने आप फिसल कर बोनेट से नीचे जमीं पे लुढ़क गयी. जब तक सिराज ने खुद को साफ़ किया, तब तक दो लोगों ने मुझे उठा कर आग के पास ले जाकर बिठाया। एक कम्बल ओढ़ दिया मुझ पे और व्हिस्की की बोतल खोल कर मेरे होटों से लगा दी. दो घूंट अंदर जाते ही मुझे ऐसे लगा कि जैसे मेरी जान वापिस आ गयी. किसी ने मेरे होटों में सिगरेट जला कर फंसा दी. पांच मिनट में मैं खुद को फिर से जिन्दा फील कर रही थी.

तभी सिराज आया और अपने हाथ आग पे सकते हुए उसने पूछा- क्यों मैडम, हो गयी दिल की मुराद पूरी या अभी भी बाकी है? मैंने बोतल मुँह से लगाई, लंबा सा घूंट भरा और कहा- अगर सिराज में दम है तो मैं तो अभी भी तैयार हूँ! सिराज ने अचम्भे से मेरी तरफ देखा और अपने हाथ जोड़ते हुए कहा- मेरी माँ, बस कर अब, साली पांच पांच को निचोड़ गयी और अभी भी ठरकी बनती है. मैं इस बार दिलोजान से हंस पड़ी- नहीं सिराज, मजाक कर रही थी. अब तो मेरे में भी ताक़ट नहीं बची की और कुछ काण्ड करूँ.

कुछ देर शांति से बैठने के बाद, गपशप करने के बाद, मैंने उठ कर कपड़े पहने, कार के पास जा कर देखा तो रिया पिछली सीट पे आराम से सो रही थी. शायद सिराज ने उसे उसके कपड़े पहना दिए थे.

मैं फिर हर एक बन्दे के गले लगी, जिसका मन किया, उसने एक बार फिर मेरे होंठ चूसे। आखिर में मैं सिराज के पास गयी, मुझे एक लंबा सा किस करने के बाद उसने पूछा- फिर मिलोगी कभी? मैंने पलट कर जवाब दिया- सच कहूं तो “नहीं”. कुछ बातों को सपना समझ कर दिल में समेटना ही अच्छा है सिराज। वैसे तो तुम हो पुलिस वाले। मेरी गाड़ी का नंबर देखकर आराम से मेरा पता निकल लोगे मगर फिर वो मजा नहीं आएगा, है ना?

मायूस से हंसी हंस कर सिराज ने मुझे फिर से एक बार किस किया और कहा- याद रहेगी तेरी जिंदगी भर छोरी!

यमुना एक्सप्रेस वे तक पुलिस की गाड़ी ने हमें साथ दिया। उसके बाद दोनों गाड़ियां अलग अलग रास्ते पे अपनी मंजिल की तरफ चल पड़ी! हम दो कामुक सहेलियों की हिंदी एडल्ट स्टोरी कैसी लगी? [email protected]