रिश्तेदारी में आई लड़की को पटा कर चोदा-3

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चोदन कहानी का पहला भाग : रिश्तेदारी में आई लड़की को पटा कर चोदा-1 कहानी का दूसरा भाग : रिश्तेदारी में आई लड़की को पटा कर चोदा-2

अब तक की चोदन कहानी में आपने पढ़ा कि मैंने नेहा की चुदाई के लिए उसकी चूत पर अपना लंड टिका दिया था और अपने लंड को उसकी चूत से बार बार टच कर रहा था, ताकि वो उतावली हो जाए. अब आगे..

ऐसा ही हुआ. वो कहने लगी- अब और नहीं देरी सह सकती. अब जल्दी से डाल दो.. आपको मेरी कसम. मैंने कहा- ओके.. और मैंने जैसे ही धक्का लगाया लंड फिसल गया, क्योंकि चूत टाइट थी और मेरे लंड का टोपा फूल कर मोटा हो गया था. मैंने कहा- बस एक सेकंड जान.

मैंने उसकी चमक रही चूत की दोनों फांकों को अलग किया और लंड टिका लिया और एकदम से उसकी बाँहें दोबारा दबा लीं. मैंने कहा- चलूँ. उसने कहा- हाँ जल्दी से.. मैंने एक हल्का सा शॉट मारा तो उसकी चीख निकल गई- आआआअ..

आस पास तो कोई था नहीं और दरवाज़ा बंद था तो उसकी चीख कमरे में ही रह गई. वो कहने लगी- आआअह.. निका.. आलो… उई.. इसे निकालो.. आआह.. मरररर गईइइ.. आआआह.. नहीं मुझे छोड़.. दो.. प्लीज़ मैंने सोचा अभी तो साला टोपा ही अन्दर गया है, अभी तो 5 इंच बाकी पड़ा है, ऐसे कैसे छोड़ दूँ. फिर ये चोदने नहीं देगी.

मैंने उसे चुप करने के किए झूठ बोला- हो गया.. हो गया.. मेरी जान. बस अब दर्द 2 मिनट में चला जाएगा. वो बोली- आआ दर्द.. हो रहा है.. आआह.. मैंने उससे कहा- अब नहीं होगा.

बातें करते करते मैं लंड को अन्दर की तरफ करता रहा और मेरा लंड उस तंग चूत में अपना रास्ता बनाता रहा. क्योंकि दर्द तो उसे हो ही रहा था तो इसमें उसे पता नहीं चला.

मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता रहा और एक जगह जाकर रुक गया. अभी भी लंड डालने के लिए एक इंच का रास्ता और बाकी पड़ा था.

वो दर्द से कराह रही थी और बोल भी रही थी- मैं.. मर जाऊँगी.. तुम्हारी बांहों में.. मैं.. तुम्हें.. हमेशा प्यार करती रहूंगी आह.. वो होश सा खो रही थी.. मैंने भी देर न करते हुए लास्ट झटका जोर से मारा और मेरा पूरा लंड उसकी नाज़ुक सी चूत ने समा लिया. इससे लंड उसके बच्चेदानी को जा कर लगा और उसकी सील भी टूट चुकी थी.

अब उसकी चूत से खून निकल रहा था, जो प्रमाण दे रहा था कि हम अब वर्जिन नहीं रहे. मेरे भी लंड की चमड़ी पीछे को खिसक गई और मुझे भी दर्द होने लगा था. वो अब कुछ बोल नहीं रही थी और न ही कोई आवाज़ निकल रही थी. उसकी बाँहें थोड़ी ढीली पड़ गयीं. अब मैं लंड को चूत में वैसे ही फँसा कर उस पर लेट गया और उसके होंठ चूसने लगा. उसकी आँखों से आंसू निकले हुए थे. बेचारी को बहुत दर्द हुआ होगा. मुझे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि इस गुड़िया सी लड़की को इतना दर्द दिया.

मैं ऐसे ही 5 मिनट के लिए पड़ा रहा और फिर शरबती चूचियों को चूसने लगा. वो अब जागने लगी थी. शायद बेहोश हो गई थी या सो गई थी. अब मैं उसकी साँसें फिर से महसूस करने लगा. उसने आँखें खोलीं और बोली- आह…प्रिंस.. मैंने कहा- हाँ जान.. बोलो.. फिर वो बोली- तुमने मेरी चूत फाड़ दी न.. मैंने कहा- हाँ, जान, तुमने कहा और मैंने फाड़ दी. देखो तुम्हारी चूत भी मेरे लंड को पूरा अपने में समाई बैठी है.. तुम्हारी चूत खुश है न अब. उसने मंद आवाज़ में बोला- हाँ.. फिर हम हल्का सा हंस पड़े.

मैंने बोला- तुम्हारी चूत में बहुत अकड़ थी. तुमको भी दर्द देती थी और मेरे लंड को भी जकड़ कर दर्द दिया. पर अब मेरे लंड ने उसको दोस्त बना लिया है. देखो तो कैसे एक दूसरे में समाये हैं. वो नीचे की तरफ देखने लगी और फिर कहने लगी- मेरी चुत में बहुत दर्द हो रहा है! यह कह कर अपनी चूत से मेरे लंड को दबाने लगी. इससे मेरा लंड भिंचने लगा था. मैंने कहा- जान अब असली मजा आएगा. यह कह कर मैं फिर से लंड को चूत में रखते हुए पुरानी वाली पोजीशन में आ गया.

मैंने अब लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर से अन्दर किया और आराम आराम से आगे पीछे होने लगा. जब वो जोर से आह भरती, तो मैं रुक जाता. थोड़ी देर में ही उसे शायद मजा आने लगा.

अब वो भी बार बार खुद आगे पीछे खिसक कर लंड को अपनी चूत के अन्दर ले रही थी. बस अब मैंने भी अपना काम शुरू कर दिया. मैंने धक्के तेज कर दिए और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों को रगड़ कर उसका गर्म गर्म पानी निकाल रहा था, जो मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था.

मैं भी गर्म होकर बोलने लगा- ओह, ओह मेरी जान, तुम कितनी सुन्दर हो, आह तुमसे मिलकर.. आह.. तुमसे मिलकर तो मानो जन्नत मिल गई हो.. ओह.. तुम्हारी चूत तो जैसे मेरे लंड के लिए ही बनी है… आह.. आह.. अब.. तुम्हें.. तुम्हें.. रोज… चोदूंगा.. मेरी…राजकुमारी.. ह..ह..

अब वो भी उत्तेजित होने लगी और आह आह करते हुए कहने लगी- हां… हाँ… मेरे राजकुमार.. मेरी चूत को रोज लेना.. रोज इसमें अपना लंड… आह… लंड पेलना… नहीं तो ये..ह.. ह.. तुम्हारे..लंड.. के बिना… मर.. जाएगी… चोदो… हां… चोदो मेरे.. जानू…आह.. आह.. ऐसे ही..

उसकी कामुक बातों से अब मेरे धक्के और तेज हो गए. उसकी चूत से चप-चप की आवाज़ सी आ रही थी. हमारी मादक सिस्कारियां जोर जोर से कमरे में गूंज रही थीं. अब मेरे मन में तीन बातें थीं… एक तो पहली बार चोदन का मौका मिला, दूसरी कि मेरी जान कितनी हसीन और जवान है और तीसरी हमें किसी का कोई डर नहीं था कि कोई आवाज़ सुन लेगा. इससे मैं बहुत उत्तेजित हो गया.

तभी उसने कहा- आह.. आह.. प्रिंस.. रुकना मत… आह.. लगे.. रहो.. जोर से.. मैं आने वाली हूँ..

और ये कह कर जोर जोर से आह करते हुए अकड़ने लगी. मैं अब फुल स्पीड से उसे चोद रहा था. चूत एकदम लिसलिसी हो चुकी थी इसलिए लंड बड़ी तेजी सटासट अन्दर बाहर हो रहा था. इसके बाद ही मैंने हार्ड धक्के लगाने शुरू कर दिए, जिससे मेरा लंड सीधा उसकी बच्चेदानी पर जोर से वार करता और वो पूरी की पूरी पीछे तक हिल जाती. इससे उसकी गोल गोल चूचियाँ एकदम से यूं हिल जातीं जैसे सीने से उखड़ कर निकलने वाली हों.

मैंने उसकी दोनों चूचियों को हाथ में पकड़ लिया और उसकी ठुकाई करने लगा. तभी उसने एक जोर की चीख मार कर बोला- आह… मैं गई.. और वो झड़ने लगी. उसकी चूत से रस का झरना बह चला था, जो मेरे लंड पर पड़ रहा था.

अब मैं भी नहीं रुक सका- ले मेरी जान, अपनी चूत में इसको समा ले… बन जा मेरे बच्चे की माँ.. आअह.. आह.. मैंने लंड को पूरा अन्दर तक डाल दिया, और उसकी चूत में गरम गरम माल छोड़ दिया. मैं लगभग 6 सेकंड तक झड़ा. उसे भी अपनी चूत में गरमा-गरम माल महसूस करके संतुष्टि हुई और उसने आँखें बंद कर लीं.

मैं अब सीधा उसके ऊपर ही गिर पड़ा और लंड को चूत में ही फँसा कर रखा. हम पसीने से भी भीगे थे और आहें भी भर रहे थे. उसके भी चेहरे पर भी पसीना आ गया था, जिसे मैं चाटने लगा था. मैंने उसका चेहरा चाट कर चमका दिया था.

उसकी आँखों को चूमने लगा, उसके कानों को, उसके गालों को, गर्दन पर, फिर से होंठों पर बेतहाशा चूमा.. वो भी साथ देने लगी. फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, ताकि वो भी ऐसा ही करे. उसने मेरी जीभ को चूसा. उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, जिसका मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. मैंने भी उसकी जीभ को बहुत बहुत चूसा, उसका मीठा गर्म पानी पिया. करीब दस मिनट यूं ही पड़े रहे.

अब हमें ठण्ड सी लग रही थी तो मैंने हम दोनों के ऊपर रज़ाई को ओढ़ लिया. मैंने उसे दूसरी तरफ घुमा दिया, जिससे उसकी गर्दन मेरे सामने आ गई. एकदम सुराही सी थी.

मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था, जिससे मैंने उसकी गांड के छेद में लगा लिया और हल्के हल्के घिसना शुरू किया. मैं उसकी गर्दन को चूम रहा था. ऊपर से चूमते हुए नीचे तक आने लगा, पहले गर्दन को, फिर कन्धों को चूमा.

मेरे हर एक किस के बाद उसकी आह निकलती थी. फिर मैं कमर पर आया. उसे चूमने लगा, उसे प्यार की निशानियां दे रहा था. उसका शरीर कोमल सा था. अब मैं उसके नितम्बों पर आया. उसके कूल्हे बिल्कुल नरम और सख्त से थे जो धक्के लगने के कारण लाल से हो गए थे. मैं उन पर चुम्बनों का प्रहार करने करने लगा. मैंने उसकी गांड की लाइन में हाथ की उंगली घुमाई. उसकी गांड एकदम साफ़ थी. उसकी गांड का फूल बना दिख रहा था जो कि लाल ज्यादा था, भूरा कम.

मैंने उसकी गांड के छेद पर जीभ हल्के से बिल्कुल आराम से नीचे से ऊपर तक फेरी. उसने अपने हाथ पीछे करके मुझे रोकते हुए कहा- जानू ये तुम्हारे लिए गन्दा है.

मैंने उसे कहा- जानू रोको मत, मुझे दूसरी जन्नत के दरवाज़ा को चूसने दो, इसे मैं जी भर के चाटना चाहता हूँ.

वो समझ गई. उसने सोचा कि ये सिर्फ चाटेगा. मैंने फिर अपनी जीभ उस फूल पर लगा दी. अपनी जीभ को नोक सी बना कर अन्दर घुसाने लगा, पर वो थोड़ा सा भी अन्दर नहीं गई. उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों नितम्बों को खोलते हुए उसकी गांड के छेद के दोनों दरवाज़ों खोला, वो थोड़ा सा खुला. उसके छेद की लाल गुलाबी चमड़ी थी, जो मेरे लंड को पहला न्यौता दे रही थी.

मैं अब उस पर जीभ फिराने लगा, बिल्कुल गर्म छेद था. उत्तेज़ना वश मेरी जीभ तेज़ होने लगी. उसकी भी आहें निकलना शुरू हो गईं. अब तक मेरा लंड भी सॉलिड हो चुका था. तभी मैंने सोचा, नहीं इसकी गांड कल फ़ाड़ूंगा, आज अपनी जान को ज्यादा दर्द नहीं दूंगा. ऐसे सोचते हुए, मैंने रज़ाई उतारी और टांगें सीधी करके बैठ गया.

उसे खड़ा करके, उसका मुँह अपनी तरफ करके अपनी टांगों पर बैठाया और कहा- चलो आ जाओ और अपने हाथों से अपनी चूत डालो, और हाँ दोनों की किस्सी जरूर कराना. तो उसने थोड़ा उठकर अपनी चूत से लंड को टच कराया. मैंने कहा- रुको.. फिर मैंने उसे उसी हालत में अटकाए रखा और अपने लंड से उसकी चूत के छेद पर ऊपर नीचे घिसने लगा, चूत को लंड की नोक से रगड़ता रहा.

फिर वो कहने लगी- बैठ जाऊं.. मैंने कहा- नहीं, कुछ और अच्छा सा कहो, इसकी जगह. उसने सोच से कर बोला- आपके लंड को अपनी चूत में समा लूँ. मैंने कहा- जी राजकुमारी, बैठिये आपका ही आसन है.

फिर वो लंड पर बैठने लगी, उसकी चूत से अब भी हमारा पुराना माल निकल रहा था. चूत अभी भी टाइट थी. मैंने उसकी कमर पर हाथ रख लिए. वो धीरे धीरे लंड को अपनी चूत में उतार रही थी. उसकी एकदम से आह निकल गई. वो आधा लंड ही डाल पाई. मैंने उससे कहा- देखो रानी, ये चूत तुम्हें फिर दर्द दे रही है, इसका घमंड उतार दो, फाड़ लो इसे, पूरा उतार लो चूत में.

वो जोश में आ गई और दर्द से बिलबिलाती हुई नीचे को होने लगी, वो अपनी हिम्मत दिखा रही थी. मेरे लंड पर कसाव बढ़ता चला गया. आखिरकार..

आखिरकार उसने एकदम झटका मारकर लंड को चूत के अन्दर सारा उतार लिया और मुझसे जकड़ कर चिपक गई. उसे दर्द हो रहा था. उसकी चूत से फिर से खून निकलने लगा, पर अबकी बार थोड़ा सा था.

मैंने उसका चेहरा अपने सामने किया और उसे किस करने लगा. जब वो थोड़ा सही हुई तो ऊपर नीचे उठने लगी. धीरे धीरे वो तेज होने लगी और अपनी चूत से मेरे लंड को कसते हुए ऊपर नीचे होने लगी. अपनी चूत का घमंड उतारने लगी.

अब मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर चूसने लगा. कुछ ही पलों में वो थक गई, क्योंकि हम एक एक बार हो लिए थे, तो भी टाइम लगना था.

वो खड़ी हुई.. उसने लाल हुए लंड को देखा.. वह घबराई नहीं और बोली- देखा, मैंने कमीनी का घमंड उतार दिया, फड़वा लिया अपने लंड दोस्त से, अब खून भी निकलवा दिया.. घमंडिन का. मैंने बोला- हां मेरी राजकुमारी, तुमने कर दिखाया. चलो अब एक बार इसको सबक सिखाते हैं. अब तुम घोड़ी बन जाओ.

वो घोड़ी बन गई और पीछे मुड़कर देखने लगी. मैंने कहा- ये लो तुम्हारा दोस्त भी आ गया, एक बार और फाड़ डालो ताकि ये मेरी राजकुमारी को दर्द न दे.

उसने एक हाथ पीछे करते हुए लंड को आगे पीछे किया. मैं लंड उसकी गांड पर रगड़ने लगा. बहुत जोर से रगड़ लगाई. फिर उसकी चूत पर पर रगड़ा, तो वो आह आह करने लगी.

मैंने कहा- जान, अब मैं इसको सिखाओ. उसने कहा- हाँ, मेरे जानू इसको सबक सिखा दो. मैंने कहा- जोर से फाड़ दूँ? उसने कहा- हां जानू, फाड़ दो.. चाहे चोद दो, अब ये तुम्हारी है.

घोड़ी बनकर उसकी चूत और टाइट हो गई थी. मैंने सोचा अब ये सह लेगी.

तो मैंने उसकी चूचियों को कस कर दोनों हाथों से पकड़ा और एक ही झटके में जड़ तक लंड उतार दिया.

उसकी जोर से चीख आई- आआआह.. मैंने कहा- बस रानी हो गया, अब कभी इसे फाड़ने की जरूरत नहीं रहेगी. हो गया बस हो गया. फिर वो आह.. आह आह.. करके शांत हुई. मैंने कहा- अब आगे पीछे होती रहो.

मैं भी आगे पीछे होकर धक्के लगाने लगा. कभी कभी चूत में से लंड निकल जाता. तो फिर मैं उसे चूत में डाल देता और उसकी आह निकलती रहती.

अब हमारी स्पीड तेज हो गई.

मैंने बोलता रहा- ले.. मेरी.. रानी.. ले.. तेरी चूत से.. मेरा लंड.. प्यार कर.. रहा.. है.. आह… रानी.. मुझे… तुम्हें अपने बच्चे की माँ बनाना है अह.. अअ..आह.. बनोगी…? वो भी उत्तेज़ना में बोलने लगी- हां.. बनूँगी.. आह.. आह… मैं- लंड लो.. मेरी रानी और मेरे.. बच्चे की माँ.. बनो.. आह.. नेहा- हाँ.. हां.. आअह मुझे.. एक साथ.. दो बच्चों की माँ बनाओ.. हां.. मैं.. तुम्हारे बच्चों की माँ.. और तुम उनके बाप.. आह आह.. जल्दी.. बनाओ.. आअह.. आअह… मैं आ रही हूँ.. आआह… मैं- हाँ मेरी जान.. मैं भी आ गया हूँ.. आआह आअह.. ओह्ह…

हम एक साथ झड़ गए.. और वैसे के वैसे ही मैं उस पर पड़ गया. वो भी बिस्तर पर गिर गई. हम दोनों में मानो जान ही नहीं रही थी. मैंने रज़ाई को पीछे से खिसका कर ऊपर कर लिया और हम वैसे ही पड़े रहे. हम दो बार चोदन कर चुके थे. अब हम में जान भी बाकी नहीं बची थी.

मैंने मोबाइल में देखा तो 1.30 बज रहे थे. हमने 2. 30 घंटों तक चुदाई की थी.. विश्वास नहीं हुआ.

हम दोनों में उठने की जान भी बाकी नहीं थी. मैंने मोबाइल में 3 बजे का अलार्म लगा कर रख लिया और उसी के ऊपर होकर पड़ गया और सो गया.

ठीक 3 बजे अलार्म बजा.. तो हम उठे. उसकी चूत में दर्द होने लगा. मैंने उठकर फ्लास्क में से निकाल कर उसे कॉफी दी, जो थोड़ी ठंडी हो गई थी पर हमने पी ली.

फिर वो उठी, वो इस चुदाई से कितनी सुंदर लगने लगी थी. उसने कहा- अच्छा अब मुझे जाना पड़ेगा, नहीं तो प्रॉब्लम हो जाएगी. मैंने उसकी पैंटी उठाकर पहनाई और उसने अपने कपड़े डाल लिए और मैंने भी.

वो बिस्तर से उठकर चलने लगी और एकदम आगे को गिरने लगी. मैंने कदम आगे को होकर उसे पकड़ लिया और उसे चलने में मदद करने लगा. वो लंगड़ा कर चलने लगी थी. फिर मैंने उसे अपनी गोदी में उठाया और वैसे ही लेकर चलने लगा.

वो बोली- आप कितने अच्छे हो. मैंने कहा- और मुन्ना. वो बोली- वो बहुत ज्यादा अच्छा है.

मैं नेहा के घर के दरवाज़े पर आया. मैंने उसे नीचे उतारा और अपने से सटाकर किस करने लगा. उसे थोड़ा सा गरम कर दिया ताकि वो आराम से चली जाए. मैंने कहा- अच्छा जान, कल दिन में मिलते हैं. अपना ख्याल रखना और दूसरी नेहा को पता मत चलने देना. उसने कहा- अच्छा जानू, मैं चलती हूँ.

मैं उसे वह छोड़कर वापस उसी कमरे में जाकर काम निपटाया, एक पैग मारा और सब बोतल नमकीन आदि सामान को छुपा कर, वापस अपने कमरे में आ गया. मैं कल के इंतज़ार में सो गया और मुझे ख़ुशी बहुत हुई.

तो दोस्तो, ये मेरी और उसकी पहली चुदाई थी.

अभी मैं, कहानी को थोड़ा ब्रेक देना चाहूंगा. आशा है आपको मेरी चोदन कहानी पसंद आई होगी.

जब तक कहानी पूरी न हो तो उसका मजा नहीं आता, इसलिए मैं जहाँ तक लिख सका लिख दिया. कहानी लिखने में समय बहुत लगता है इसलिए आप मुझे प्रोत्साहन दें ताकि मैं अगले चार और दिन का अनुभव लिख सकूँ. मेरी चोदन कहानी पर अपने विचार मुझे मेल करें! धन्यवाद, फिर मिलते हैं. [email protected]

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