मेरी कामुकता, मेरे तन की प्यास-2

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कहानी के पहले भाग मेरी कामुकता, मेरे तन की प्यास-1 में अपने पढ़ा कि शादी के बाद कैसे मैं पहली बार चुदी और मेरी कामुकता बढ़ती चली गई. मैं घर से बाहर अपनी कामुकता को शांत करने का जरिया खोज रही थी. एक दिन एक शादी में गई तो वहां चार पांच हट्टे कट्टे बॉडी गार्ड को देख कर मेरी चूत पानी बहाने लगी और मैंने उन से अपनी चूत की आग ठंडी करवाने का फैसला किया. अब आगे:

मुझे वो एक बड़ी सारी खड़ी कार के पास ले गया और मुझे अपने कंधे से उतारा। उसके साथ बाक़ी सब भी आ गए. मैंने जान बूझ कर नाटक करते हुये उसको एक झापड़ मर दिया- कुत्ते, हरामजादे, तूने समझ क्या रखा है? मैं कुछ और और कहती एक झन्नाटेदार चांटा मेरे मुँह पर पड़ा, मैं नीचे गिर पड़ी, तो उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ कर ही खड़ा किया। बाल खींचने से मैं तड़प उठी- आई, आई, मेरी माँ, छोड़ो मुझे, आ…ह!

पर मेरी किसी ने न सुनी। एक ने आकर मेरा आँचल खींच लिया, इस से पहले कि मैं अपने आँचल को पकड़ पाती, दूसरे ने मुझे धक्का दे दिया, मैं तीसरे की बाहों में जा गिरी। उसने मेरे दोनों मम्मे पकड़ कर बड़ी ज़ोर से दबाये, मैं फिर दर्द से बिलबिला उठी- आ…ह मगर किसी एक ने मेरा डिजाइनर बैकलेस ब्लाउज़ आगे से पकड़ कर खींचा और फाड़ दिया। मैं घबरा गई, मगर तभी सामने वाले ने मेरे ब्लाउज़ का गला पकड़ा और फिर एक ही झटके से उसने मेरा ब्लाउज़ और ब्रा फाड़ कर उतार दी। एक सेकंड में मैं एक पब्लिक प्लेस में आधी नंगी हो गई.

इस से पहले मैं कुछ कहती, दूसरे आदमी ने मेरी साड़ी और पेटीकोट, इतनी ज़ोर से खींचा के मेरी साड़ी फट गई, फटी हुई साड़ी को उसने हवा में उछाल दिया और मेरी पेटीकोट का नाड़ा तोड़ कर खींचा और सारा पेटीकोट फाड़ दिया। दो पल में एक सजी संवरी औरत उनके सामने नंगी हो गई, पर मुझे उनकी ये अदा बहुत पसंद आई। ऐसा लगा जैसे मेरा बला त्कार होने जा रहा है, कोई ये तो पूछ ही नहीं रही कि तुझे क्या चाहिए।

मेरे नंगी होते ही, सबने अपनी अपनी पैन्ट की ज़िप खोली और अगले ही पल मेरे आस पास 5 लंड लहरा रहे थे। पांचों ने अपने अपने लंड हिलाने शुरू किए, एक ने मेरे मुँह में दे दिया- ले चूस इसे हरामजादी। मैं कैसे ना करती, मेरी तो मन की मुराद पूरी हो रही थी; पहले एक ने फिर दूसरे ने, फिर तीसरे ने सबने अपना अपना लंड चुसवाया; पाँच अलग अलग लंड का स्वाद मेरे मुँह में आया; मोटे, तगड़े दमदार लंड। दो मिनट में ही मेरे आस पास 7 से 9 इंच तक के लंड की जैसे दुकान खुल गई ही। मैं तो खुद पागल हो रही थी, समझ नहीं आ रहा था, मैं क्या करूँ, किसका चूसूँ, किसका पकड़ूँ।

एक ने मुझे उठा कर कार के बोनेट पर लेटा दिया। मैं सीधी लेटी थी, दो ने मेरे मम्मे पकड़ लिए, एक मेरी चूत का दाना मसलने लगा। सब मेरे आस पास थे, पहले मुझे एक ने अपना लंड चुसवाया और उसके बाद तो कोई भी अपनी तरफ मेरा मुँह करके अपना लंड मेरे मुँह में डाल देता था, और मैं मज़े ले ले कर चूस रही थी।

फिर एक लड़के ने कहा- मादरचोद, पहले कैसे नखरे कर रही थी, अब देखो, कैसे लंड चूस रही है! और उसने अपनी पैन्ट उतार दी, ये मोटी जांघें, हल्की सी झांट में उगा हुआ उसका 7 इंच का लंड। साले ने मेरी चूत पर रखा और तब तक धकेला जब तक सारा लंड एक ही बार में अंदर न घुस गया। बेशक मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी, मगर ये तो फिर भी दर्दनाक था। मगर मुझे तो उन कुत्तों ने कुतिया ही समझ रखा था; एक चोद रहा था, एक चुसवा रहा था, बाकी मेरे मम्मे दबा रहे थे।

अभी मेरा तो बेटा अभी छोटा था, मेरा दूध पीता था, तो मेरे तो मम्मे दूध से भरे पड़े थे,, साले मेरे दूध से ऐसे खेल रहे थे, जैसे ये कोई खेलने की चीज़ हो। निप्पल दबा दबा कर दूध की धारें एक दूसरे के मुँह पर, इधर उधर मार रहे थे। मुझे तो लग रहा था, जैसे मेरी छातियाँ तो आज सारी निचोड़ कर खाली कर जाएंगे।

जो लड़का मुझे चोद रहा था, उसे तो जैसे ये था कि इस कुतिया की चूत को फाड़ दूँ। मैंने कहा- अरे यार, आराम से करो, दर्द होता है। वो बोला- तेरी माँ की चूत, जब चुदवाने आई थी, तब नहीं सोचा था के साले मुशटंडो से चुदवाऊंगी तो माँ चोद के रख देंगे। साली छिनाल, नाटक करती है, ये ले फिर! कह कर उसने इतनी ज़ोर से अपना लंड मेरी चूत के अंदर मारा, मैं तो दर्द से बिलबिला उठी। ऐसे लगा जैसे उसका लंड मेरी बच्चेदानी को फाड़ कर अंदर घुस गया हो। मैं तड़प उठी- हाए मेरी माँ, मर गई मैं!

मगर मेरी चिंता किसी ने नहीं की, एक ने मेरे सर के बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी तरफ घुमाया और अपना लंड मेरे मुँह में देकर बोला- बुला बुला, अपनी माँ को भी बुला, उसको भी यही तेरे सामने नंगी करके चोद देंगे। साली कुतिया, दोनों को एक दूसरे के सामने न चोदा तो कहना। बुला बुला, और किसको बुलाती है अपनी माँ बहन, मौसी चाची सब को अपने घर से बुला! कह कर उसने मेरे मुँह पे एक चांटा मारा। इस चांटे ने मुझे हिला कर रख दिया; मेरे आंसू निकाल पड़े!

मगर उनके लिए तो जैसे ये कोई खेल था, उनको कोई फर्क नहीं था मेरे आंसुओं से- देख साली रंडी की औलाद, क्या चरित्र दिखा रही है. और उसने मेरे मुँह पर थूक दिया। दूसरा बोला- मादरचोद, कुतिया साली!

5 मिनट की दर्द भरी चुदाई के बाद पहला आदमी झड़ गया, और उसने मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। उसके उतरते ही, दूसरे ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और एक ही बार में सारा लंड अंदर घुसेड़ दिया “हाय, माँ, हा…” मैं फिर से बिलबिला उठी, मगर वो सब हंस रहे थे, मुझे लग रहा था, कहीं मैंने इनसे पंगा ले कर कोई गलती तो नहीं कर दी। पर अब इस गलती को सुधारने की कोई सूरत मुझे नज़र भी नहीं आ रही थी।

वो सब शराब पी के मस्त हो रखे थे, और सब के सब चुदाई के मूड में थे, मैं अगर अब यहाँ से जाना भी चाहूँ, तो क्या ये मुझे जाने देंगे। अभी तक तो ये सब प्यार से कर रहे हैं, मगर अगर मैं भागना चाहूँ, तो हो सकता है ये लोग मुझे जाने ना दें. और मैं आई भी तो अपनी मर्जी से थी, मेरे मन की मुराद भी पूरी हो रही थी. मैं इस ज़बरदस्त चुदाई से अंदर ही अंदर खुश भी थी। इतना ज़रूर था कि मुझे तकलीफ हो रही थी.

पहले मर्द ही ने मुझे एक बार स्खलित कर दिया था, क्योंकि जो मैं हमेशा चाहती थी कि मेरे पति का वीर्य एक बार गिरे, मगर लंड ढीला न पड़े, और वो मुझे और चोदे; फिर माल गिराए, फिर चोदे; या माल ही न गिराए, और मुझे चोदता रहे; मैं बार बार स्खलित होती रहूँ। मगर जो इच्छा मेरा पति पूरी नहीं कर पाया था, आज ये लोग कर रहे थे। दूसरे आदमी ने आते ही और जोश से मेरी चुदाई की, अगले दो मिनट में मैं दूसरी बार स्खलित हुई। मगर फिर भी एक पत्थर की तरह सख्त लंड अभी भी मेरी चूत में घुसा हुआ था, और मेरे पेट के अंदर तक चोट कर रहा था।

थोड़ी देर चुदाई करने के बाद उसने मुझे बालों से पकड़ कर उठाया, कोई रहम नहीं, पूरी ज़िल्लत- बहुत देर से मज़े ले रही है, मादरचोद, चल अब उल्टी हो कर चुदवा! उसने मुझे कार के बोनेट पर उल्टा करके लेटा दिया और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। उसने मेरे कंधे नहीं पकड़े, बल्कि मेरे बनाए हुये बाल खोल कर मुझे बालों से पकड़ा। ये तकलीफ देह था, बालों पर लगातार खिंचाव पड़ रहा था। मगर मेरी तो किसी रंडी से भी कम औकात थी उनकी नज़रों में; मार मार घस्से मेरी चूत लाल कर दी थी उसने, और बिना रुके, बिना थके 10 मिनट की चुदाई के बाद उसने भी मेरी चूत को अपने गरम माल से भर दिया, और मेरे मुँह पर थूक कर कार के बोनेट पर पटक कर पीछे हट गया।

उसका लंड मेरी चूत से निकला तो मुझे कुछ सुकून मिला। मगर तभी तीसरा आदमी आ गया, थोड़ा सांवला और बिलकुल गंजा। ये मुझे डरावना सा भी लगा। मगर जब उसने मुझे उठा कर फिर से सीधा किया तो तब सच में डरने वाली बात थी। कोई 9 इंच का लंबा, मोटा और थोड़ा ऊपर को मुड़ा हुआ उसका लंड। उसने मेरी टाँगें अपने कंधे पर रख ली और उसने भी अपना लंड पेल दिया। क्या ज़बरदस्त लंड था, मेरी चूत को को अंदर तक भर दिया। जितना लंबा और मोटा मोटा मेरी चूत में जा सकता था, उतना बड़ा लंड था ये। और ये गंजा घस्से भी आराम से मार रहा था, जैसे इसे कोई जल्दी न हो।

लंड चुसाई से मेरा मुँह दुखने लगा था, और चुदाई से मेरी चूत; मगर अभी दो और लोग तैयार खड़े थे हाथों में लंड पकड़ कर! अब मैंने पहली बार भगवान को याद किया- हे प्रभु, इनका जल्दी जल्दी हो, ताकि मैं घर वापिस जा सकूँ। मगर ये गंजा तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। 20 मिनट की चुदाई के बाद उसने मेरी चूत से अपना लंड निकाला और मेरे पेट पे रख कर अपने माल की धार मार दी, उसका गरम वीर्य मेरे पेट और मम्मे तक बिखर गया। जो मेरी चूत में उसका और पहले वालों का वीर्य गिरा था, वो चुदाई से चू कर मेरी गांड तक चला गया।

फिर चौथा आया, बहुत ही शानदार बॉडी का मालिक; जैसे कोई फिल्म स्टार हो। उसने आते ही मुझे फिर उल्टा करके मुझे पीछे को खींचा, और मुझे मेरे पाँव पे खड़ा कर दिया। मैंने अपने हाथ कार के बोनेट पर रख लिए। एक ने मेरे मुँह का पास अपना मुँह करके बोला- अब मरेगी तू भैंण की लौड़ी।

मैं कुछ समझी नहीं मगर सब मुस्कुरा रहे थे, और वो मेरी चूत और आस पास लगे वीर्य से अपने लंड का टोपा गीला कर रहा था। मैं सोच रही थी, हो सकता है, ये इन सब में सब से ज़्यादा टाइम लगाता हो, मगर उसके मेरी चूत पर लंड फेरने से मुझे बड़ी राहत और आनंद मिल रहा था। जब उसका लंड वीर्य और मेरी चूत के पानी से पूरा चिकना हो गया, तभी उसने अपना लंड मेरी गांड पे रखा और अंदर पेल दिया। इस से पहले के मैं हिल भी पाती उसने मेरी कमर कस के पकड़ ली, न सिर्फ उसने बाकी सब ने भी मुझे दबोच लिया, इस बुरी तरह से के मैं हिल भी न पाई; और उस माँ के लौड़े, मेरी जान ने अपने लंड का टोपा मेरी गांड में डाल दिया। मेरी कुँवारी गांड, मैंने कभी अपने पति को इसमे उंगली नहीं डालने दी, इस कुत्ते के बीज ने मेरी गांड को चीर डाला।

मैंने शोर मचाया- अरे छोड़ो मुझे, हरामजादो, मुझे दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊँगी; आह…. मगर सब के सब मुझे जस की तस पकड़े रहे, बल्कि एक बोला- अरे रुक क्यों गया, पूरा डाल, मादरचोद कुतिया के। कुतिया बनने आई, इसे पता तो चले। और फिर उसने और ज़ोर लगाया, मैं और ज़ोर से रोई, चीखी, उसने और ज़ोर लगाया, मैं और रोई, मैं रोती रही और वो डालता रहा। 8 इंच में से 7 इंच तो उसने डाल ही दिया होगा। मुझे लगा जैसे मेरी बड़ी आंतड़ी तक उसका लंड जा घुसा है। दर्द से मैं बेहाल।

मगर उन सब के लिए ये सब जैसे खेल था। मुझे रोती बिलखती को चोदता रहा और मुझे नहीं पता कितनी देर उसने लगाई, क्योंकि मेरे तो अपने डायल घूम गए थे, मैं क्या बताती कितनी देर उसने मुझे चोदा और अपने माल मेरी गांड में ही गिरा कर नीचे उतरा। वो पीछे हटा, और बाकी सब की पकड़ मुझ पर ढीली पड़ी तो मैं तो नीचे को फिसल गई, और ज़मीन पर गिर पड़ी। मैं चाहती थी के मैं बेहोश ही हो जाऊँ ताकि ये जो कुछ भी करें, मुझे पता न चले, मगर मैं होश में थी, सर से लेकर पाओं तक सारा बदन मेरा तोड़ दिया था।

मुझे उठा कर उन्होंने खड़ा किया, मेरी दोनों टाँगें चौड़ी की। एक बीयर की बोतल खोली, उसके मुँह पर अंगूठा रख कर बोतल को ज़ोर से हिलाया, और जब उसमें प्रेशर बन गया, तो मेरी चूत को खोल कर उसके अंदर वो प्रेशर मारा गया। मेरे बदन में तो कंपकंपी छूट गई; गरम चूत में ठंडी बीअर का छिड़काव; एक दम से जैसे मेरी चूत धो डाली उसने अंदर तक।

मुझे फिर से धक्का दे कर कार पे लेटा दिया। मैंने शुकर मनाया के चलो ये आखरी है। बेशक वो आखरी था, मगर सबसे लंबी रेस का घोड़ा। जो वो लगा चोदने, हटे ही न… न झड़े, न थके, न रुके… घपाघप, घपाघप! क्या तसल्ली और आराम से मुझे चोदा। बेशक मेरी चूत दर्द कर रही थी मगर सबसे ज़्यादा मुझे इस आदमी से चुदने में मजा आया। सच कहती हूँ, उस आदमी को मैंने अपना दिल दे दिया। बाकी सब तो मुझे चोद कर फिर से खाने पीने में लग गए थे।

मैं जितना सज सँवर कर आई, थी उस से कहीं ज़्यादा इन लोगों ने मुझे गंदा कर दिया था, मेरा पेट, जांघें, कमर सब मर्दाना वीर्य से चिप चिप कर रहे थे। छातियाँ दूध से भीगी पड़ी थी। पीठ और बालों में भी कार के बोनेट से मेरा दूध और उन सब कर वीर्य लग गया था। चेहरे और चूतड़ों उनके मारे जोरदार थप्पड़ अपने छाप छोड़ चुके थे, टाँगें अलग दर्द कर रही थी।

काफी देर चोदने के बाद उसने मुझसे पूछा- मजा आया जानेमन? मैंने कहा- हाँ, तुमने सच में मजा दिया। तो वो बोला- मैं अपना माल तुम्हारे मुँह में गिराना चाहता हूँ। मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं अपने पति का माल भी मुँह में ले लेती हूँ, पर पीती नहीं।

उसने मेरी चूत से अपना लंड निकाला, मुझे नीचे बैठा कर अपना लंड मेरे मुँह में डाला, मैं उसका गुलाबी लंड चूसने लगी। मगर जब उसका वीर्य गिरा तो उसने कस कर मेरा मुँह पकड़ लिया और मेरी नाक बंद कर दी, मुझे सांस आनी बंद हो गई। जब मैं तड़पी तो वो बोला- पी इसे सारा, माँचोद, पी! और उसने मुझे अपना सारा वीर्य पिला दिया। फिर मुझे वैसे ही छोड़ के अपने कपड़े पहनता हुआ, अपने दोस्तों के पास चला गया।

मैं कितनी देर वहीं गंदी ज़मीन पर गिरी पड़ी रही। बिलकुल बेसुध। न तन में जान, न मन में कोई विचार। बिलकुल शून्य में! फिर ख्याल आया, अरे मेरा बेबी, मेरा पति… मैं उठ कर खड़ी हो गई।

मुझे उठता देख कर वो सब फिर मेरी तरफ आ गए। एक बोला- अरे जाती कहाँ है, अभी एक एक बार और चोदेंगे तुझे! मैंने तो भाग ली, अपनी पूरी जान लगा कर; एक मेरे पीछे भागा। कितनी गाड़ियों के अगल बगल से मैं पार्किंग में नंगी भाग कर अपनी जान बचा कर भाग कर आई और अपनी कार में घुस गई। तब मुझे चैन की सांस आई।

मगर फिर एक आदमी मेरे पास आया, और बोला- डोंट वरी जानेमन, अब तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे। तुमने हमें हमारी पसंद से चोदने दिया, अब तुम जो कहोगी हम वो करेंगे। मैंने पहले उनसे अपने कपड़े लाने को कहा। वो सब मेरी फटी हुई साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज़ और ब्रा लेकर मेरे पास आए; मैंने उन सब को समेट कर रख दिया; फिर नए कपड़े पहने, कार में बैठ कर ही अपने बाल वगैरह सब सेट किए, फिर से मेक अप किया।

जब मैं तैयार हो गई, तो एक बोला- अबे देख बे क्या धान्सू आइटम है बाप, दिल करता है, साली का रे प कर दूँ। मैंने कहा- और ये जो अब किया है, ये क्या रे प से कम था? तो वो बोला- डार्लिंग चाहे तुम इसे रे प कहो या कुछ भी, मगर एक बात बताओ, सच में मजा कितना आया?

मैं मुस्कुरा पड़ी और बोली- इस में कोई शक नहीं कि मुझे बहुत मजा आया। इतना मजा तो मेरा पति मुझे कभी भी नहीं दे सकता। वो बोला- अच्छा, मजा आया, तो चलो एक बार और सही। मैंने कहा- ना भैया, मेरे पति और बच्चा मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। वो बोला- क्या यार, भैया बोल कर तो तूने हम सब को बहन चोद बना दिया। मैंने कहा- अगर 400 गाली तुम लोग मुझे दे सकते हो तो क्या एक गाली मैं तुम्हें नहीं दे सकती मेरे भाई लोगो? वो सब भी हंस दिये।

एक मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया और बोला- कभी कोई ज़रूरत हो तो फोन करना। मैंने कहा- मेरी तो यही ज़रूरत है। वो बोला- फिर अपना नंबर दे दो, जब भी दिल्ली आए, हीरो के साथ, तुम्हें बुला लिया करेंगे।

मैंने अपने अपना मोबाइल नंबर उसे दिया और वापिस होटल में आ गई। आकर देखा, तो पति देव तो दारू में पूरे टुन्न हो चुके थे, बेबी मेरी एक फ्रेंड की गोद में सो रहा था। मैंने झटपट खाना खाया और उन दोनों को लेकर अपने घर वापिस आ गई।

मगर उस शादी को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी। आपको मेरी यह सामूहिक चुदाई की कहानी पसंद आई? मुझे मेल करके अपने विचार बताना न भूलना। [email protected]

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