रैगिंग ने रंडी बना दिया-75

अब तक की इस हिंदी सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि सुमन ने खेल खेल में अपने पापा का लंड चूस लिया था और अब वो अपने पापा जी से अपनी चुत चटवाने की फिराक में थी. अब आगे..

गुलशन जी उसके पास बैठ गए और उसके चेहरे को देखने लगे. गुलशन- सॉरी बेटा.. मेरी वजह से ही तू गिरी है. अगर मेरा पैर बीच में नहीं आता तो तुझे तकलीफ़ नहीं होती. मगर तू घबरा मत, मैं अभी तुझे उठा कर तेरे कमरे में लेकर जाता हूँ. सुमन- ओह हाँ पापा आप मुझे ही गोदी में उठा लो.. आह.. मुझसे तो उठा नहीं जाएगा आह.. पापा उफ्फ..

गुलशन जी ने एक हाथ उसकी गांड के नीचे और दूसरा गर्दन के नीचे रखा और उसे उठा कर कमरे में ले गए.

सुमन- आह.. पापा आप बहुत अच्छे हो. अब ये दर्द का कुछ करो आह.. मुझे बहुत दुख रहा है. गुलशन- देख मैं तेरी माँ के आने के पहले तुझे ठीक कर दूँगा. तू रुक, मैं अभी तेरा इलाज लेकर आता हूँ.

गुलशन जी बाहर गए, सबसे पहले तो उन्होंने उस प्याले को साफ किया. फिर उसमें सरसों का तेल लेकर उसको गर्म करने लगे.

उधर सुमन अपने ख्यालों में खोई हुई सोच रही थी ‘ओह पापा, आपका लंड तो बहुत बड़ा है. उसको चूसते हुए मेरा मुँह दुखने लगा. काश मैं उसको देख पाती, अपने हाथों से उसे पकड़ कर हिला पाती और आपका रस.. आह कितना मज़ा आ रहा था.. काश वो रस आप मुझे पिला देते, तो मज़ा आ जाता मगर जो भी हुआ अब आपको उसके आगे लेकर आऊंगी. तभी तो दर्द का नाटक किया मैंने, अब जल्दी से आ जाओ और मेरी चुत को सुकून दे दो.

गुलशन- ये देखो में सरसों का तेल लाया हूँ इससे तुम्हें आराम मिल जाएगा. सुमन- लेकिन पापा मैं कैसे लगाऊं.. मुझसे तो उठा भी नहीं जा रहा. गुलशन- अरे मैं लगा दूँगा ना.. तू टेंशन क्यों ले रही है. सुमन- पापा व्व..वो आप कैसे लगा सकते हो.. व्व..वो दर्द पीठ पर और पैरों में ऊपर की तरफ़ हो रहा है. गुलशन- अरे तो क्या हुआ.. पहले जब तू छोटी थी ना तब तेरे जिस्म की मालिश तेरी माँ नहीं, मैं ही किया करता था. समझी अब मुँह से कोई आवाज़ मत निकलना समझी. सुमन- ल्ल..लेकिन पापा वो तो एमेम.. मैंने नीचे कुछ न..नहीं पहना है..! गुलशन- मैंने कहा ना चुप, अब मैं जो करता हूँ, करने दे.. इससे तुझे आराम मिलेगा, तब बोलना.. समझी..!

सुमन की बात का गुलशन जी पर कोई असर नहीं हुआ, वो तो बस जल्दी से उसकी मालिश करना चाह रहे थे.

सुमन- ठीक है पापा आप जो चाहे करो.

गुलशन जी ने मैक्सी थोड़ी ऊपर की और घुटनों की मालिश करने लगे.. फिर धीरे-धीरे हाथ को ऊपर जाँघों पे ले गए.

अपने पापा के हाथ जाँघों पे लगते ही सुमन के जिस्म ने झटका खाया. उसकी काम भरी सिसकी निकल गई और चुत में एक करंट सा दौड़ गया. गुलशन जी ने सुमन की तरफ़ देखा तो उसकी आँखें बंद थीं और वो अपने होंठों को दांतों में दबा कर काट रही थी.

गुलशन जी अब सिर्फ़ जाँघों की मालिश कर रहे थे और एक-दो बार उनकी उंगली चुत से टच भी हुई, जिसका असर सुमन की कामुक सिसकी से पता लग रहा था कि वो कितनी उत्तेजित हो गई है.

पापा को भी अपनी कमसिन बेटी की मालिश करने में मज़ा आ रहा था और उनका लंड फिर उठाव लेने लगा था. सुमन की चुत रिसने लगी थी, इस बात का अहसास गुलशन जी को तब हुआ, जब दोबारा उनकी उंगली चुत से टकराई.

गुलशन जी मन में ‘लगता है सुमन उत्तेजित हो गई है, तभी उसकी चुत गीली हो गई. अब इसे शांत करना जरूरी है.. नहीं तो ये परेशान रहेगी.’

सुमन की आँखें अब भी बंद थीं.. वो बस घुटी-घुटी आवाज़ में मादकता से सिसक रही थी.

गुलशन जी मन में ‘मेरी सुमन, तू तो बड़ी हो गई है.. देख तेरी चुत कैसे पानी छोड़ रही है, बस ऐसे ही आँखें बंद रखना. मैं तेरे कामरस को चख कर देखूं कि कैसा स्वाद है मेरी बेटी की चुत के रस का!’

गुलशन जी ने अब सीधे उंगली चुत पे लगा दी और उसके सहलाने लगे, फिर उसपे जो रस लगा उसे वो चाट गए. उनका लंड एकदम टाइट हो गया था और वो भी बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गए थे. गुलशन- सुमन बेटा तू पेट के बाल लेट जा, तेरी पीठ पे भी तेल लगा देता हूँ.. जिससे तुझे आराम मिल जाएगा.

सुमन तो इतनी ज़्यादा उत्तेजित थी कि वो सब भूल गई कि उसके पापा कैसे उसका फायदा उठा रहे हैं. वो बिना कुछ बोले उल्टी लेट गई. गुलशन जी ने उसकी मैक्सी ऊपर कर दी, अब नीचे का पूरा हिस्सा नंगा उनके सामने था. सुमन की भरी हुई गांड देख कर गुलशन जी ने मन में सोचा कि अभी इसमें लंड घुसा दूँ तो मज़ा आ जाए. मगर एक बाप और बेटी के बीच की शर्म उनको रोके हुए थी.

अब उन्होंने पीठ की मालिश शुरू कर दी. वो सुमन की गोरी गांड पर भी हाथ घुमा रहे थे. फिर उन्होंने सोचा सुमन तो कुछ बोल भी नहीं रही, तो क्यों न कुछ मज़ा ले लिया जाए. गुलशन जी ने लंड को बाहर निकाला और सुमन के ऊपर दोनों तरफ़ अपने पैर निकाल कर बैठ गए और लंड को चुत पे सैट करके ऊपर-नीचे रगड़ने लगे.

सुमन को जब लंड का अहसास सीधे चुत पे हुआ तो उसका पसीना छूट गया. सुमन मन में- हे राम, ये पापा को ज़रा भी शर्म नहीं आ रही क्या.. कैसे चुत पे लंड घिस रहे हैं. कहीं ये लंड को चुत के अन्दर ही ना पेल दें.

गुलशन जी तो बस मज़े लेने में लगे हुए थे और सुमन की उत्तेजना अब चरम पर पहुँच गई थी- आह.. ससस्स पापा उफ़फ्फ़ आह…. ऐसे ही करो.. आह.. यहीं दर्द ज़्यादा है आह.. ऐसे ही जोर से रगड़ो आह… गुलशन जी समझ गए कि सुमन की चुत का बाँध टूटने वाला है, उन्होंने जोर-जोर से लंड को रगड़ना शुरू कर दिया और तभी सुमन की चुत से रस की फुहार निकलने लगी.

गुलशन जी जल्दी से अलग हुए और हाथ से चुत के रस को साफ किया, फिर उसको चाटने लगे. अब सुमन शांत हो गई थी मगर ये अहसास कि उसके पापा उसका रस चाट रहे हैं, उसको और अधिक रोमांचित कर रहा था. सुमन- आह.. ससस्स बस पापा अब ठीक है आह.. आपने मेरा सारा दर्द निकाल दिया है.

गुलशन- अच्छा अब तू थोड़ी देर आराम कर.. मैं ये तेल रख कर आता हूँ.

गुलशन जी वहां से चले गए और सुमन वैसे ही लेटी रही और बड़बड़ाने लगी ‘उफ्फ ये सब क्या हो रहा है.. मैं सोच भी नहीं सकती कि इतनी जल्दी पापा मेरी चुत तक पहुँच जाएँगे. उफ्फ क्या आग लगा दी पापा ने, अब जो होगा देखा जाएगा.. बस मैं पापा को इतना पागल बना दूँगी कि वो खुद चुत माँगने लगेंगे.’

उधर गुलशन जी अपने कमरे में चले गए उनका लंड अभी भी तना हुआ था. उन्होंने लंड बाहर निकाला और सहलाते हुए बिस्तर पे बैठ गए- ओह भगवान.. ये क्या पाप कर दिया.. मैंने अपनी सग़ी बेटी उफ्फ उसी की चुत का रस चाट कर आ रहा हूँ. उसी को लंड चुसा दिया मैंने.. छी: ये कैसे कर दिया मैंने.

दोस्तो अक्सर इंसान अकेले में बात करता है तो उसके सामने उसका दूसरा रूप आ जाता है यानि कुछ आत्मा टाइप.. समझ रहे हो ना आप, तो बस वैसे ही गुलशन जी की अंतरात्मा भी बाहर आकर उनसे बात कर रही है.

आत्मा- अच्छा अब बुरा लग रहा है और रात को जब उसके मज़े लिए, तब बुरा नहीं लगा? उसके नाम की मुठ मारी तब बुरा नहीं लगा और अनिता के साथ किया तब नहीं सोचा.. वो भी तो तेरी ही बेटी थी? गुलशन- अनिता की बात अलग है, वो मेरी सग़ी बेटी नहीं है. मगर सुमन तो मेरा खून है.. मैं उसके साथ कैसे सब कर सकता हूँ. आत्मा- लंड और चुत किसी रिश्ते को नहीं देखता.. और वैसे भी शुरूआत सुमन ने की है. वो तेरे लंड पे बैठ गई, अजीब तरह से तुझे किस करती है.. और आज तो उसने मैक्सी के अन्दर कुछ नहीं पहना यानि वो खुद तुझे मज़ा देना चाहती है. गुलशन- नहीं नहीं वो नादान है.. बाप के प्यार में गोदी में बैठी थी और आज क्या.. वो तो अक्सर ही घर में अंडरगार्मेंट्स नहीं पहनती है. आत्मा- अच्छा तुझे बड़ा पता है.. क्यों तू उसकी चुत रोज देखता है क्या? गुलशन- मुझे लगा ऐसा तो बोल दिया.

आत्मा- देख तू सच से भाग नहीं सकता, आज वो जिस तरह तेरे लंड को चूस रही थी, उससे तुझे लगता है वो चीज को पहचानने की कोशिश कर रही थी और तो और वो गिरी घुटनों तक थी तो जाँघ और कमर पर कहाँ चोट लग गई..? बोलो और उसकी चुत क्यों गीली हुई.. बताओ कोई जवाब है इसका? गुलशन- शायद तुम सही कह रहे हो. मैंने उसकी चुत को छुआ, वो मना कर सकती थी, गुस्सा भी हो सकती थी मगर उसने तो मज़े लिए और वो झड़ी भी. आत्मा- सही समझा तू.. अब उसको लंड की जरूरत है, बाहर किसी से चुदवाए, इससे अच्छा तू उसकी प्यास बुझा दे.

गुलशन- मगर कैसे वो मेरी बेटी है और मैं ये सब उससे कैसे कहूँ? आत्मा- यही वो भी सोच रही होगी कि तुझे कैसे कहें कि पापा मुझे चोदो.. मगर तुम दोनों ही एक-दूसरे की प्यास मिटा सकते हो. गुलशन- ठीक है आज से मैं खुलकर उसके मज़े लूँगा. उसको इतना तड़पाऊंगा कि वो खुद कहेगी कि पापा मुझे आपका लंड चाहिए, तब मैं उसे चोदूँगा.

गुलशन जी ने पक्का सोच लिया था कि वो सुमन को चोदेंगे और अब आत्मा भी गायब हो गई थी. इसी सोच के चलते उनका लंड अब और ज़्यादा अकड़ गया था. मगर उन्होंने खुद को समझाया कि जल्दबाज़ी में काम बिगड़ सकता है और वैसे भी अभी सुमन ठंडी हुई है तो उसके पास जाने का फायद नहीं.

दोस्तो उम्मीद है कि आपको मज़ा आ रहा होगा. अब सुमन के रंडी बनने की घड़ी नज़दीक आ रही है और आपके कुछ सवालों के जवाब भी आपको मिल गए होंगे, तो चलो इन बाप-बेटी को आराम करने दो. हम वापस गोपाल के पास जाते हैं, आज वहां भी बहुत कुछ मसालेदार होने वाला है.

मोना और नीतू बाजार से वापस घर आ गई थीं और दोनों ने मिलकर दोपहर का खाना भी बना लिया था.

साथियो, आप मुझे मेरी इस हिंदी सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स कर सकते हैं.. पर आप लेखिका पर कमेंट्स मत करें.

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कहानी जारी है.