पटियाला सलवार

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प्रेषक : अमित शर्मा

गुरूजी और उन सभी मस्त चूतों और लंडों को मेरा नमस्कार जिनका अन्तर्वासना के बिना मन नहीं लगता।

दोस्तो मैं सोनीपत, हरियाणा का एक कालबॉय हूँ जिसने बहुत सारी चूतों का पानी निकाला है पर जब मैं सेक्स करता हूँ तो कुछ किस्से ऐसे हो जाते है जिन्हें आपके साथ बांट कर मुझे अच्छा लगता है और यक़ीनन इसे पढ़कर लड़कियाँ और औरतें अपनी चूत में ऊँगली डाल कर चूत का पानी निकालेंगी।

मैं जल्दी से पहले आपको अपने बारे में बता दूँ !

मेरा नाम अमित है और मेरा लंड 6 इंच से बड़ा है और मैं दिखने में ऐसा हूँ कि मेरे मोहल्ले में औरते भी मुझ पर लाइन मारती हैं।

मेरे साथ वाले घर में एक एक औरत है सौम्या ! मैं उन्हें भाभी कहता हूँ, कद उनका 5 फीट है पर फिगर ऐसा है कि अब भी लड़के उनके घर के चक्कर काटते हैं, 34-26-38 आप समझ ही गये होंगे की उनकी गांड कितनी मस्त होगी।

कई बार तो मन ऐसा करता कि उनको पकड़ कर चोद दूँ जबरदस्ती ! पर मुठ मार कर ही संतुष्ट होना पड़ता।

नवम्बर के महीने में तो मुझे कम से कम दस औरतों ने कॉल कर के बुलाया था पर दिसम्बर में 15 दिन हो गये किसी चूत के दर्शन नहीं हुए।

एक दिन मुझे एक लड़की की कॉल आई। उस समय मैं छत पर था।

उसने मुझे कहा- आज सारी रात तुम्हें मेरे साथ रहना है !

मैं उसके साथ कई बार पूरी रात बिता चुका हूँ।

मैंने मजाक में कह दिया- कहती हो तो अपने दोस्त को भी ले लूँ साथ ! एक से भले दो ! जम कर मारेंगे पूरी रात तेरी ! और चार्ज भी उतना ही लगेगा।

उसने कहा- थोड़ा कम बोला कर ! जितना कहूँ उतना सुना कर !

और फोन रख दिया।

पीछे से आवाज आई- देवर जी, मुझसे क्या चार्ज लोगे?

कुछ देर तो मुझे जैसे सांप ही सूंघ गया हो ! फिर हिम्मत करके बोला- अपनों से कैसा चार्ज भाभी?

भाभी बोली- तुम्हारे भैया का तो चार्जर ही ख़त्म हो गया पर मुझे तो अभी और चार्ज होना है न।

मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं आ रहा था कि जिस चूत के लिए मेरे लंड ने इतनी मुठ मारी वो इतनी आसानी से मिल जाएगी।

भाभी ने बताया कि आज ही रात को उनके पति बाहर जा रहे है और आज रात को ही मुझे अपने काम पर जाना था पर भाभी थी ही ऐसी ज्यादा सोचना न पड़ा।

मैंने ऋतु को कॉल की (जिसके पास आज रात मुझे जाना था) और कहा- मैं अभी आ सकता हूँ, रात को मुझे जरूरी काम से जाना है, तुम्हारे साथ रुक नहीं सकता।

चूत में जब आग लगी हो तो लड़कियाँ और औरतें सब मान लेती हैं।

मैं उसके पास गया, सब कुछ जल्दी में किया। पर शुक्र है कि भाभी की गांड के चक्कर में मैं तो जल्दी झड़ गया साथ में वो भी जल्दी झड़ गई।

उससे रूपए लेकर मैं उसके घर से निकला ही था कि भाभी का फोन आ गया।

मैंने कहा- भाभी, मैं तुम्हारे पास ही आ रहा था !

भाभी बोली- हाँ देवर जी, तुम कॉल किये बगैर तो आओगे नहीं ! कालबॉय जो ठहरे !

मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है।

मैं उनके घर मैं दरवाजे से न जाकर छत से गया क्योंकि अँधेरा होने की वजह से किसी को मैं जाता भी नहीं दिखाई दूंगा और किसी को शक भी नहीं होगा।

उन्होंने ऊपर का दरवाजा खुला ही रख रखा था पर उन्हें नहीं पता था मैं छत से आ जाऊंगा।

मैं जसे ही अन्दर गया, देखा कि वो सफाई कर रही थी कमरे की !

मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया, वो बोली- बड़ी जल्दी आ गये?

मैंने कहा- भाभी, आप चीज ही ऐसी हो !

और उनके गले पर चूमने लगा। फिर मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाया और उनके होंठ पर होंठ रख दिए और भाभी को चूमने लगा। भाभी भी मेरा साथ दे रही थी।

भाभी बोली- बहुत महीनों से तुझ पर नजर थी कि तू मेरे जरूर काम आएगा !

और यह कह मेरे ऊपर आ गई।

भाभी ने गुलाबी रंग का पटियाला सूट पहन रखा था।

भाभी ने पहले मेरी टीशर्ट और फिर मेरे एक एक करके सारे कपड़े उतार दिए। भाभी ने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर बोला- यह तो मेरी जान है !

और मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था। भाभी थी कि हटने का नाम नहीं ले रही थी।

कुछ देर बाद मैंने कहा- भाभी, रुकिए ! नहीं तो मैं झड़ जाऊंगा !

वो बोली- कई महीनों बाद मुझे मिला है ! ऐसे ही थोड़े न छोड़ दूंगी !

और मैंने भाभी के मुँह में ही कई पिचकारियाँ मार दी।

भाभी मेरा सारा का सारा रस पी गई और मैं बिस्तर पर लेट गया।

मैंने कहा- भाभी, अब आपको ही दोबारा इसे उठाना होगा ! आपने ही मेरे लंड को सुलाया है।

भाभी मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।

मैंने भाभी का कमीज़ उतारा तो उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। भाभी की चूचियाँ देख कर मेरा लण्ड फिर से तैयार हो गया, भाभी को कुछ मेहनत नहीं करनी पड़ी।

एक अकेली चूची मेरे एक हाथ में भी नहीं आ रही थी। क्या पता कितनो की मेहनत थी ये चूचियाँ।

मैंने भाभी की सलवार उतारी तो भाभी ने नीचे भी पैंटी नहीं पहन रखी थी।

कहते हैं कि पटियाला पैग चढ़ने के बाद और पटियाला सलवार उतरने के बाद जो नशा चढ़ता है वो पागल कर देता है।

वही मेरे साथ भी हुआ।

भाभी की चूत एक दम चिकनी थी, कोई बाल नहीं था !

मैंने भाभी की चूत पर जीभ रखी तो भाभी की आह निकल गई और उनकी चूत का स्वाद तो ऐसा कि बस चाटता ही जाऊँ !

मैं जोर से भाभी की चूत में जीभ अन्दर-बाहर करने लगा।

भाभी आह आह ! आह आह रुको ! अब और नहीं सहन होता ! जल्दी डालो अन्दर ! कहने लगी।

मैं उनके ऊपर आ गया और जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रखा, उनकी आँखे बंद थी, मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया और फिर जोर जोर से झटके लगाने शुरू कर दिए।

भाभी पागलों की तरह चिल्लाये जा रही थी, कह रही थी- और जोर से फाड़ डालो मेरी चूत को ! आग लगा दो इसमें आज ! आह आ ह अह्ह्ह अह आह ! आह आह आह जोर से पूरा ! हा हा आह ! आह्ह्ह मजा आ गया ! और जोर से !

उसके इस जोश में हम दोनों एक साथ झड़ गये। मैंने सारा वीर्य उनकी चूत में डाल दिया फिर दोनों एक दूसरे के गले लग कर लेट गये।

अब बारी थी उनकी सबसे अच्छी जगह उनकी गांड की !

पहले तो वो मना करती रही पर मैंने कहा कि मैं दर्द नहीं होने दूंगा तो वो मान गई। मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और काफी सारा तेल उनकी गाण्ड में लगा दिया। ऊँगली में भी वो चिल्ला रही रही थी। मैंने तेल अपने लंड पर भी लगा लिया।

मैंने लंड भाभी की गांड पर लगा कर धक्का दिया तो लंड गांड में आधा चला गया और भाभी चिल्लाले लगी- निकालो इसे ! बहुत दर्द हो रहा है !

मैंने भाभी की एक नहीं सुनी और दूसरे झटके में पूरा लण्ड गांड में उतार दिया।

भाभी को दर्द हो रहा था पर मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिए। कुछ ही देर में भाभी को भी मजा आने लगा और गांड आगे पीछे करके मेरा साथ देने लगी।

काफी देर बाद मैं झड़ गया और उसी अवस्था में भाभी के ऊपर लेट गया।

उस रात भाभी ने फिर एक एक बार चूत और गांड मरवाई।

अब हम हर हफ्ते एक यार दो बार कर ही लेते हैं और भाभी ने बदले में मेरी इस सेवा के लिए एक अच्छा मोबाइल दिया।

सच में वो मुझे काफी अच्छी लगती हैं।

मुझे मेल करें !

धन्यवाद।

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