मेरा गुप्त जीवन- 148

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सलोनी और रूही के जाते ही टेलीफ़ोन की घंटी बज पड़ी, मैंने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ मम्मी जी बोली रही थी- कैसे हो सोमू बेटा! बड़े दिनों से तुम से बात नहीं हो सकी थी, सोचा कि आज बात कर लेती हूँ, और सब ठीक है ना? मैं बोला- चरण स्पर्श मम्मी जी, मैं यहाँ बिल्कुल ठीक हूँ और आप सुनाइए पापा कैसे हैं? और बाकी गाँव में सब ठीक है ना?

मम्मी जी बोली- यहाँ सब ठीक है, अच्छा सोमू, वो पूनम के पापा का फ़ोन आया था और वो कह रह थे कि पूनम की शादी तय हो गई है, इसी सिलसिले में वो हमारी थोड़ी सी मदद मांग रहे हैं। मैं बोला- यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है, वो क्या मदद मांग रहे थे?

मम्मी बोली- वो कह रहे थे पूनम के भाई और भाभी कुछ दिनों के लिए पूनम के साथ लखनऊ आ रहे हैं, अगर हमको कोई ऐतराज़ ना हो तो वे तीनों हमारे घर में रुक जाएँगे और जो दहेज़ इत्यादि खरीदना, बनाना है वो वहाँ रह कर बना लेंगे। उनका सोचना है कि शायद इससे सोमू की पढ़ाई में विघ्न पड़ेगा। मैंने कहा भी कोई विघ्न नहीं होगा, आप भेज दो उन तीनों को… वो आराम से हमारी कोठी में रह कर अपना काम कर सकते हैं। तुम बोलो सोमू, तुम क्या कहते हो?

मैं बोला- मुझको उनके आने से कोई कष्ट नहीं होगा, आप उनको कह दो कि वे निस्संकोच यहाँ आकर रह सकते हैं जब तक उनकी मर्ज़ी हो! मम्मी बोली- ठीक है, ज़रा कम्मो को फ़ोन देना, उसको भी समझा दूँ! मैंने फ़ोन कम्मो को दे दिया जो पास ही खड़ी थी और मम्मी और कम्मो के बीच थोड़ी देर बात हुई।

कम्मो अब खिलखिला कर हंस रही थी और हँसते हुए ही बोली- छोटे मालिक, आपकी तो पुरानी आशिक आ रही है, अब तो मज़ा ही मज़ा है। मैं भी खुश हो कर बोला- लेकिन कम्मो रानी, अबकी बार साथ में भाभी हैं और उसका भाई भी है तो बहुत मुश्किल हो जाएगा मिलना… और खासतौर पर अब जब उसकी शादी तय हो चुकी है तो हम दोनों का उस तरह मिलना ठीक नहीं होगा शायद? कम्मो बोली- हाँ यह तो है, लेकिन कोशिश करने पर सब कुछ हो सकता है।

मैंने आगे बढ़ कर कम्मो को बाहों में ले लिया और उसके लबों पर कई चुम्मियाँ जड़ दी। वो भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी।

हम दोनों बेखबर हुए अपने काम में लगे थे कि इतने में पारो भी वहाँ आ गई और वो भी मेरे से पीछे से लिपट गई और अपने मोटे मुम्मे मेरी पीठ से रगड़ने लगी। बड़ा आनन्द आ रहा था आगे मुम्मे और पीछे भी मुम्मे… वाह, क्या बात है!

मैं पारो को भी जफ्फी डालने के बाद उसको बोला- आज कोई चाय पिलाएगा या नहीं? प्यास के मारे जान निकली जा रही है। कम्मो और पारो दोनों हंसने लगी और फिर पारो दौड़ कर गई किचन में और थोड़ी देर के बाद हम तीनों के लिए चाय बना कर ले आई।

चाय पीते हुए कम्मो ने बताया कि गाँव में सबने छोटे मालिक की पिक्चर देखी है और सब बहुत खुश हो रहे हैं। तुम्हारी चहेती लड़कियों ने किसी एक के घर में मिल कर तुम्हारे चिपको डांस की नक़ल भी उतारी और आपस में मिल कर खूब मस्ती की और चूमा चाटी भी की।

जब कम्मो यह सब बता रही थी, मैंने उसको ध्यान से देखा उसका चेहरा काम वासना से एक दम लाल हो रहा था और उसका हाथ अनजाने में ही उसकी साड़ी के ऊपर से चूत को सहला रहा था, वो बेहद गर्म हो चुकी थी यह मैं समझ रहा था।

मैं टहलने के मूड में था तो मैं टहलते हुए रति की कोठी की तरफ निकल गया और मौके की बात देखिये कि भाभी के दर्शन उनकी कोठी के गेट पर ही हो गए। भाभी ने मुझको अंदर बुला लिया और हम दोनों बड़े ही प्यार से एक दूसरे से बातें करने लगे।

तभी मैंने भाभी को बताया कि एक दो दिन में हमारे मेहमान आने वाले हैं गाँव से, तो कुछ दिन रति से और भाभी से मिलना मुश्किल हो जाएगा। भाभी कुछ उदास होते हुए बोली- अच्छा सोमू, फिर तो तुम मेरे पास नहीं आ सकोगे और ना ही मैं तुम्हारे पास आकर कुछ प्यार व्यार कर सकूंगी। अच्छा सुनो सोमू, रति के भैया आज रात के लिए कानपुर जा रहे हैं, हम दोनों इतनी बड़ी कोठी में अकेली हो जाएंगी। तुम आज की रात हमारी कोठी में रह सकते हो क्या?

मैंने कुछ सोचते हुए कहा- ऐसा है भाभी, मुझको तो कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन तुम फिर भी कम्मो से बात कर लो, अगर वो हाँ कर दे तो मैं आ जाऊंगा रात रहने के लिए! भाभी ने अपने चौकीदार से कहा- सोमू भईया के साथ उनकी कोठी जा रही हूँ थोड़ी देर के लिए और अगर रति या साहिब पूछें तो बता देना, मैं जल्दी ही लौट आऊँगी।

हम दोनों हमारी कोठी की तरफ चल पड़े और रास्ते में भाभी कहती रही- मेरा तो दिल बड़ा मचल रहा है सोमू तुम्हारे लिए… उफ़ कितना मज़ा आएगा सारी रात के लिए एक दूसरे की बाहों में! मैं बोला- वो तो ठीक है भाभी, पर रति भी तो है ना वहाँ, उसको क्या बताओगी? भाभी बोली- उसको मैं समझा लूंगी जब वक्त आएगा! बोलो, तुम तैयार हो क्या? अगर हाँ तो सब ठीक हो जाएगा।

कोठी में पहुंचे तो कम्मो हमको बैठक में ही मिल गई, भाभी ने तुरंत उसको सब बातें बता दी और उससे पूछा कि क्या सोमू रात हमारी कोठी में रह सकता है? कम्मो भाभी को साथ लेकर मेरे बैडरूम में चली गई और थोड़ी देर बाद दोनों वापस लौट आई, तब कम्मो ने कहा- भाभी के साथ रात रहने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन रति को कैसे पटाओगी? वो बड़ी चालाक है, वो सब समझ जायेगी। भाभी ने बड़ी बेपरवाही से कहा- रति की आप कोई फ़िक्र ना करें, मैं उसको संभाल लूंगी।

मैंने कम्मो से पूछा- क्या मैं भाभी के अंदर अपना वीर्य छूटा सकता हूँ, उससे उनको कोई फर्क तो नहीं पड़ेगा ना? कम्मो ने कहा- भाभी के अंदर पूरी तरह से गर्भ ठहर गया है, उसका तुम फ़िक्र ना करो छोटे मालिक। जो करना चाहते हो, वो कर लो भाभी के साथ! भाभी बोली- तो फिर ठीक है ना, सोमू आज रात हमारे घर में सो जायेगा कम्मो?

मैं बोला- सो तो मैं जाऊंगा भाभी लेकिन मुझको रति का बहुत डर है कहीं वो तुम्हारी गर्भाधान वाली बात भैया को ना बता दे? भाभी बोली- अरे सोमू राजा, तुम काहे घबराते हो, वो तो मेरी मुट्ठी में है, और ज़्यादा उछल कूद की कोशिश की तो तुम उसको भी चोद देना, और क्या? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं मान गया और कहा कि एक घंटे के बाद खाना खाकर आता हूँ लेकिन भाभी ज़ोर डालने लगी- नहीं अभी चलो और खाना भी वहीं खा लेना। मैं तुम्हारे लिए बकरे की रान का मीट बना रही हूँ, वो बड़ा ही स्वादिष्ट बनता है। मैंने भाभी को यह कह कर रवाना किया कि मैं अपने कपड़े बदल कर अभी आता हूँ, आप चलो।

थोड़ी देर बाद मैं अपने रात का कुरता पायजामा पहन कर भाभी के घर पहुँच गया, भाभी मुझको बाहर बरामदे में ही मिल गई जैसे कि वो मेरा इंतज़ार बड़ी बेसब्री से कर रही हों। भाभी मुझको सीधे अपनी बैठक में ले गई और जाते ही उसने मुझको अपनी बाहों में लेकर एक निहायत ही कामुक जफ्फी मारी और मेरे लबों पर मस्त चुम्मी दे दी।

मैंने पूछा- रति कहाँ है भाभी? भाभी बोली- वो अपनी एक सहेली से मिलने गई है, थोड़ी देर में वो आती ही होगी। वो आ जायेगी तो खाना खा लेंगे, तुमको जल्दी तो नहीं ना? मैं बोला- नहीं भाभी, मुझको कोई जल्दी नहीं है। अगर बुरा ना मानें तो एक बात बताइए, यह भैया हफ्ते में आपको कितनी बार चोदते हैं?

भाभी पहले तो शरमाई फिर धीरे से बोली- कहाँ रे सोमू यार, रति के भैया तो 15-20 दिन में एक आध बार कर लेते हैं जब वो थोड़ी पीकर आते हैं, वरना काफी समय तो वो मेरी तरफ देखते तक नहीं।

मैं अब भाभी-भैया की कहानी में दिलचस्पी लेने लगा था तो मैंने आगे पूछा- तो क्या भैया के करने से आपका पानी छूट जाता है? और आपकी तसल्ली हो जाती है क्या? भाभी उदास होते हुए बोली- कहाँ रे सोमू, भैया तो जब करना शुरू करते हैं तो मुश्किल से वो 5-6 धक्के मारने के बाद ही झड़ जाते हैं और फिर वो साइड लेकर सोते हुए खूब खर्राटे मारते हैं।

मैं भी उदास होते हुए बोला- तभी भाभी, आपका बच्चा होने में प्रॉब्लम हो रही है। फिर आप अपनी तसल्ली के लिए क्या करती हैं? भाभी बोली- पहले तो ऊँगली से काम चलती थी लेकिन आज कल मुझको एक अच्छी नौकरानी मिल गई है जो मेरे संग मुख मैथुन करके, मेरे चूचे चूस कर, मेरी चूत, चूतड़, जांघें चाट कर मुझको पूरी तसल्ली दे देती है।

मैं हैरान होते हुए बोला- अच्छा भाभी, क्या ऐसा भी होता है? स्त्री के संग स्त्री? मैंने कभी ऐसा देखा ही नहीं? भाभी बोली- क्या यह सब देखना चाहोगे लल्ला? चूत चुसाई और जनाना किसिंग किस्साई? मैं बोला- हाँ क्यों नहीं भाभी, अगर आपकी नौकरानी यहाँ है तो और अगर उसको कोई ऐतराज़ नहीं तो ही? भाभी बोली- खाना खाकर जब हम बैडरूम में जाएंगे तो मैं तुमको इसकी छोटी सी झलक दिखा दूंगी।

हालांकि लेस्बो सेक्स के बारे में मैंने सुन और देख रखा था, ग्रुप सेक्स में भी लड़कियाँ आपस में मजे करती थी, लेकिन मैं भाभी को यह जताना चाहता था जैसे मैं कुछ जानता ही नहीं।

थोड़ी देर बाद ही रति भी वापस घर आ गई और मुझको देख कर बड़ी खुश हुई और आते ही मुझ से पूछने लगी- आज यहाँ कैसे सोमू जी? भाभी बोली- आज तुम्हारे भैया रात भर के लिए बाहर गए हैं तो मैंने सोमू और कम्मो से कहा कि अगर सोमू आज की रात हमारे घर में सो जाए तो कोई ऐतराज़ तो नहीं, और दोनों मान गए हैं तो सोमू लला आज हमारे घर में सोयेगा।

ये बातें चल ही रही थी कि एक बड़ी ही सुंदर जिस्म वाली सांवली सी लड़की ने आकर भाभी से पूछा- भाभी, क्या खाना लगा दूँ टेबल पर? भाभी बोली- हाँ लगा दे लाजो, और रति तुम जल्दी से हाथ मुंह धोकर खाने के लिए आ जाओ।

यह कहते हुए भाभी रसोई में चली गई और रति ने मौका देख कर मुझको धर दबोचा और बड़ी ही कसी जफ्फी मारी और ताबड़तोड़ चुम्मियों की बारिश मेरे होटों पर कर दी। मैंने भी उसको बाहों में कस लिया और उसके लबों पर बहुत ही गहरी चुम्मी जड़ दी और उसके गोल मोटे चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा।

हम काफी देर एक दूसरे की बाहों में बंधे रहे और फिर किसी के आने के आहट सुन कर हम एक दूसरे से अलग हो गए।

लाजो आई थी खाने की प्लेटें रखने के लिए और जाते हुए नज़र भर कर मुझको भी देख गई और मेरी आँखों से आँखें मिला गई। मैंने भी सोचा ‘कुड़ी फँस सकती है अगर भाभी साथ दे तो!’

लाजो देखने में काफी आकर्षक थी क्यूंकि उसके नयन नक्श बड़े ही तीखे थे चाहे उसको रंग सांवला था और मुझको यकीन था कि वो भी मेरे गाँव वाले काले हीरे से किसी तरह भी कम नहीं थी। उसकी चाल मतवाली थी और सादी सी धोती में उसके मस्त मुम्मे और गोल मोटे चूतड़ों को देखने में बड़ा ही आनन्द आ रहा था।

लाजो को देखने के बाद मन उसके लिए मचल रहा था फिर सोचा आज रात को तो भाभी चूत चुसाई लाजो के साथ दिखाने वाली है तो शायद उस वक्त काम बन जाए?

खाना बड़ा ही स्वादिष्ट बना था और मन पूरी तरह से तृप्त हो गया और फिर हम सब कोक पीते हुए बैठक में बैठे रहे। यहाँ रति मेरे कंधे से कन्धा जोड़ कर बैठी हुई थी और मेरे हाथ के साथ अठखेलियाँ कर रही थी।

फिर भाभी मुझको गेस्ट बैडरूम में ले गई और जहाँ मेरे सोने का पूरा इंतज़ाम कर दिया था। अच्छा बड़ा पलंग था और रेशमी चादर से ढका हुआ था फिर थोड़ी देर बाद वो दोनों अपने अपने कमरों में चले गई।

मैं भी लेट गया और भाभी का इंतज़ार करने लगा और वो करीबन एक घंटे बाद लाजो को लेकर आई और आते ही उसने मुझको एक मीठी सी प्यारी सी जफ्फी मार दी तब मेरी आँखें लाजो से मिलीं और मैंने उसको हल्की आँख मार द॥ लाजो के चेहरे पर मुस्कराहट खेल गई।

तब भाभी ने सबसे पहले मेरे कपड़े उतारने शुरू किये और जब मैंने लाजो की तरफ इशारा किया तो वो बोली- अरे सोमू, वो तो अपनी ही है उससे क्या शर्म करना? क्यों लाजो? दिखा दे सोमू भैया को अपने हुस्न के जलवे! और मेरे कपड़ों के साथ ही लाजो के कपड़े भी उतरने शुरू हो गए, जैसे पहले धोती उतरी और फिर ब्लाउज उतरा और फिर पेटीकोट उतरा।

लाजो का नंगा रूप बहुत ही मादक था, उसका सांवला जिस्म एकदम साँचे में ढला हुआ था और उसका हर अंग प्रत्यंग सॉलिड और गोलाई नुमा था।

इधर जैसे ही भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर से आज़ाद किया वो झपट कर भाभी के गालों को छूता हुआ सीधा तन गया। भाभी थोड़ी देर के लिए चौंकी लेकिन फिर जल्दी ही वो संभल गई। लाजो की काली आँखें मेरे सीधे खड़े हुए लंड पर टिकी थी और वो हैरानी से फैली हुई थी।

मैंने अब भाभी को नंगी करने के लिए हाथ बढ़ाया और चंद मिनटों में भाभी को भी निर्वस्त्र कर दिया। तब भाभी ने लाजो को भी अपने पास बुला लिया और फिर हम सब एक दूसरे की गर्दनो में बाहें डाल कर कमरे में घूमने लगे। मैं एक हाथ से लाजो के मोटे सॉलिड चूतड़ों को सहला रहा था और दूसरे से भाभी के चौड़े और फैले हुए चूतड़ों को मसल रहा था।

लाजो की चूत पर बेहद घने और गहरे काले बाल थे जो मैंने आज तक नहीं देखे थे। उसकी सारी चूत काले घने बालों के साये में छुपी हुई थी और उसकी ज़रा सी झलक भी नहीं दिख रही थी। लाजो के मुकाबले भाभी की चूत पर बाल कुछ ज़्यादा घने नहीं थे और वो काफी गीले हो चुके थे क्यूंकि भाभी शायद उस समय काफी कामुक हो रही थी।

जैसे ही भाभी ने मेरे खड़े लंड को देखा, वो जल्दी ही मेरे निकट आ गई और मेरे लंड के साथ खेलने लगी और लाजो ने भी यह मौका ठीक समझ कर मेरे पास आकर अपने मोटे मुम्मे मेरी पीठ पर रगड़ने शुरू कर दिए। फिर भाभी बोली- चल लाजो, सोमू भैया को अपनी चुसम चुसाई दिखा देती हैं, वो उसको देखने के लिए काफी उतावले हो रहे हैं।

लाजो सांवरी मेरे को छोड़ कर भाभी के साथ चिपक गई और उसके लबों पर खूब चुम्बन देने लगी और साथ में वो भाभी की चूत में अपनी ऊँगली से उसकी भग को भी मसलने लगी।

अब भाभी बिस्तर पर लेट गई और लाजो की टांगों में बैठ कर उसकी चूत को चाटना और चूसना शुरू कर दिया। जब लाजो ऐसा कर रही थी तो लाजो की गांड हवा में लहरा रही थी। उसके सांवरे गोल चूतड़ हवा में ह्ते और मेरा लंड उसमें एंट्री मारने के लिए अधीर हो रहा था।

लाजो का मुंह तो भाभी की चूत में घुसा हुआ था और भाभी ने अपने चूतड़ों को ऊपर उठा रखा था और एक हाथ से लाजो के सर के बालों को पकड़ रखा था और सर को चूत में ज़ोर से घुसेड़ रखा था। भाभी तो चूत चुसाई में बहुत ही मग्न थी और लाजो की चुसाई का पूरा आनन्द ले रही थी।

मैं अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर धीरे से लाजो की गांड की तरफ बढ़ा और आहिस्ता से पलंग पर चढ़ गया और पीछे से लंड का निशाना बना कर चूत के मुंह पर रख दिया और एक हल्का धक्का ही मारा और लंड एकदम गीली चूत के अंदर घुस गया।

लाजो सब महसूस कर रही थी, उसने भी एक ज़ोर का धक्का अपनी गांड का पीछे की तरफ मारा और मेरा पूरा लंड अपने अंदर लील गई।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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